पराली जलाने वालों की अब खैर नहीं, जिले के 32 किसानो पर गिरी गाज

अरे भाई, सुनो! अपनी सरकार ने तो अब पराली जलाने वालों पर एकदम शिकंजा कस दिया है। अपने बेटुल जिले के कलेक्टर, श्री नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, ने पहले ही मना किया था कि कोई भी खेत में फसल काटने के बाद बची हुई पराली नहीं जलाएगा। लेकिन कुछ किसान तो मानते ही नहीं, अपनी मनमानी करते हैं।
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अब क्या हुआ है कि प्रभातपट्टन, घोड़ाडोंगरी, बैतूल, आमला और मुलताई के तहसीलदार लोगों ने रिपोर्ट दी है कि इन इलाकों में किसानों ने खूब पराली जलाई है। इस रिपोर्ट के आधार पर अब 32 किसानों के खिलाफ सीधा क्रिमिनल केस दर्ज हो रहा है, वो भी एकदम तुरंत।
मुलताई और प्रभातपट्टन तहसील के कई गांवों में किसानों ने चोरी-छुपे पराली जलाई, ये बात एकदम पक्की हो गई है। प्रभातपट्टन के टाकलखेड़ा गांव के कैलाश बालाराम, मासोद के राजू गणपत राठौर और पिपलानी के राजेश श्यामालाल के खिलाफ तो FIR भी दर्ज हो गई है। मुलताई में भी कल तीन किसानों पर केस ठोक दिया गया है।
आमला में 17 किसानों पर गिरी गाज!
आमला के तहसीलदार साहब ने बताया कि उनकी तहसील में तो 17 किसानों की हेकड़ी निकल गई। इन सबने गैरकानूनी तरीके से पराली जलाई थी और अब इनके खिलाफ FIR दर्ज हो गई है। परसोड़ी गांव की रेवा बाई भोयार, संतोष जय प्रकाश भोयार, राम शंकर, कैलाश, शिव प्रसाद किशोरी भोयार, दिनेश, गणेश फत्तू, अमर सिंह अजीतलाल भोयार, डोडावानी के जयनथ, जगन्नाथ चुन्ना गौली, तुलसीराम पतंग, बाबू घिन्नू, बोर्देही के सोनेगांव के दशरथ समर सिंह रघुवंशी, खारी के राजेंद्र, विजय साहेब राव, जियालाल भागमल पवार, बाम्हणवाड़ा के सोजर मल्लू, बाबरबोह के कपूर सिल्ली, हथनोरा के गजानंद कुंवरलाल और केल्हापुर के कैलाश जागो और किशोरी सुंदर गोंड, ये सब अब कोर्ट के चक्कर काटेंगे।
बैतूल, घोड़ाडोंगरी और शाहपुर में भी कार्रवाई हुई है। बैतूल के गाजपुर के बंटी हीरासिंग, शिव बक्श, शांतिलाल वेदूसिंग गोंड, रमेश गेंडू और कुम्हारटेक के सुदामा हंस पर केस दर्ज हुआ है। घोड़ाडोंगरी के चिखली के रविंद्र अमरचंद गोठी और फोफस के बागड की मालती मिश्रीलाल किराव भी लपेटे में आ गए हैं। शाहपुर के पौसेरा के सुशील जौहरी कुड़मी और बुद्दी के भागचंद महादेव कुड़मी पर भी FIR दर्ज हुई है। पटवारी और दूसरे विभागों ने इन सब कांडों की रिपोर्ट दी थी, और अब इन पर कानूनी कार्रवाई हो रही है।
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सरकार ने तो हाथ जोड़कर किसानों से विनती की है कि भाई, पराली मत जलाओ। इससे हवा तो गंदी होती ही है, जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम हो जाती है। और आग लगने का खतरा भी बना रहता है। सरकार ने समझाया है कि पराली को खाद बना लो, मल्चर मशीन चला लो या फिर कंपोस्ट बना लो। अगर किसी ने नियम तोड़ा तो जुर्माना भी लगेगा और कानूनी कार्रवाई भी होगी। समझदार किसान बनो और ये सब झंझटों से दूर रहो!