Home Vastu: वास्तु शास्त्र में हर दिशा का एक अलग महत्व होता है. हर दिशा से सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो घर में रहने वाले सदस्यों को प्रभावित करती है. वास्तु शास्त्र यही बताता है कि घर की किस दिशा में क्या रखना चाहिए, क्या बनाना चाहिए और किस दिशा में क्या नहीं करना चाहिए.
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दक्षिण-पश्चिम दिशा को वास्तु में राहु-केतु की दिशा माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में कुछ चीजें रखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हें दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से बचना चाहिए.
दक्षिण-पश्चिम दिशा में ये काम ना करवाएं
पूजा का स्थान: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में मंदिर या पूजा घर नहीं बनवाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में स्थापित देवी-देवता पूजा का फल नहीं देते हैं. इस दिशा में मन एकाग्र नहीं हो पाता है, जिससे पूजा करने में परेशानी होती है.
मुख्य द्वार: घर का मुख्य द्वार हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है.
भूमिगत जल टैंक: घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में भूमिगत जल टैंक नहीं बनवाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इससे घर में वास्तु दोष बढ़ सकता है. इस दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने के लिए जमीन से ऊपर की ओर टैंक बनवाएं.
शौचालय: वास्तु के अनुसार घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में कभी भी शौचालय नहीं बनवाना चाहिए. इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है, जिससे घर में रहने वालों की तरक्की रुक जाती है और लोग हमेशा बीमार रहते हैं.
बच्चों का पढ़ाई का कमरा: दक्षिण-पश्चिम दिशा में बच्चों का पढ़ाई का कमरा कभी नहीं बनाना चाहिए. इस दिशा में मन एकाग्र नहीं हो पाता है और पढ़ाई करते समय कुछ भी याद नहीं रहता है. इसलिए इस दिशा में पढ़ाई का काम नहीं करना चाहिए.
गेस्ट रूम: दक्षिण-पश्चिम दिशा में गेस्ट रूम भी नहीं बनाना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार राहु और केतु की दिशा होने के कारण इस दिशा में रहने वाले व्यक्ति का मन और व्यवहार अचानक बदल जाता है. वह व्यक्ति सबके साथ बुरा व्यवहार करने लगता है. इसलिए इस दिशा में गेस्ट रूम बनाने से बचना चाहिए.