Goat Farming Tips: बकरियों में कैसे होती है बांझपन रोग की समस्या, जाने पूरी जानकारी…

By Alok Gaykwad

Published on:

Follow Us

Goat Farming Tips: बकरियों में कैसे होती है बांझपन रोग की समस्या, जाने पूरी जानकारी, ग्रामीण इलाकों में आजकल बकरी पालन का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है. ये एक अच्छा बिजनेस बनकर उभर रहा है, जिससे कई किसान आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं. लेकिन, कई बार बकरी पालकों को बांझपन की समस्या से भी जूझना पड़ता है. इसका असर उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है. दरअसल, बांझ बकरियों को पालना आर्थिक बोझ बन जाता है. तो आइए, जानते हैं कि हम इस समस्या से कैसे बच सकते हैं.

यह भी पढ़े : – Business idea: गाँव में रहकर अपना बिजनेस शुरू करें, कम बजट में मोटी कमाई…

बांझपन की समस्या क्या है?

बकरी के एक बार बच्चे को जन्म देने के बाद, अगले बच्चे के जन्म तक वो पालक के लिए बोझ बन जाती है. इससे पालक को आर्थिक नुकसान होता है. बांझपन एक संक्रामक रोग है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि – ब्रुसेलोसिस, साल्मोनेलोसिस, वाइब्रियोसिस, क्लैमिडियासिस आदि.

यह भी पढ़े : – गांव कस्बे के लड़के ने कमाल के जुगाड़ से बनाई 6 सीटर इलेक्ट्रिक साइकिल, देखे अद्बुद्ध जुगाड़ की कहानी…

ये समस्या कैसे फैलती है?

बकरी में बांझपन की समस्या सबसे आम है. ये रोग बीमार बकरी के गर्भाशय स्राव, मूत्र, गोबर, प्लेसेण्टा आदि के जरिए बाहर आता है. फिर ये दूसरी बकरियों को भी संक्रमित कर देता है. ये संक्रमण दूषित चारे को खाने से, बीमार बकरी के गुप्तांग को सूंघने से और उनके आपस में संपर्क में आने से फैलता है. इससे बाकी पशु भी इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं और उनमें भी बांझपन की समस्या हो जाती है.

रोग की पहचान कैसे करें?

बांझपन की बीमारी से ग्रस्त बकरियों में असमय गर्भपात मुख्य लक्षण है. गर्भपात से पहले उनके गुप्तांग में सूजन आ जाती है और भूरे रंग का स्राव होता है. साथ ही, उनके थन भी सूज जाते हैं और लाल हो जाते हैं.

बचाव के उपाय

इस बीमारी के इलाज और रोकथाम के लिए बीमार बकरियों को पूरी तरह से अलग रखना चाहिए. उनके रहने के स्थान को साफ रखना बहुत जरूरी है. बीमार बकरी के पिछले हिस्से को लाल दवा आदि कीटनाशकों से साफ करना चाहिए. साथ ही उनके रहने के स्थान पर फ्यूरी बोलस या हैबिटिन पेसरी जैसी दवाएं भी रखनी चाहिए. डॉक्टर की सलाह के बाद ही इलाज करें. साथ ही, बीमार नर और मादा बकरियों को बाकी बकरियों के साथ न रखें और न ही प्रजनन के लिए इस्तेमाल करें.