Yogini Ekadashi: योगिनी एकादशी पर तुलसी पूजा का विशेष महत्व, जानिए

By charpesuraj5@gmail.com

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Yogini Ekadashi: सनातन धर्म में तुलसी का पौधा पूजनीय होता है. योगिनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा करने का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि योगिनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा करने से व्यक्ति के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. आइए जानते हैं एकादशी के दिन तुलसी की पूजा कैसे करनी चाहिए?

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हिंदू धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी के बाद योगिनी एकादशी आती है. ये व्रत आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है. इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी रखा जाता है.

तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. भगवान के भोग में तुलसी दल शामिल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि भोग में तुलसी का पत्ता शामिल ना करने से भगवान भोग ग्रहण नहीं करते हैं. आइए जानते हैं तुलसी पूजा विधि समेत अन्य जानकारी.

योगिनी एकादशी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 01 जुलाई को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ होगी. वहीं इसका समापन 02 जुलाई को सुबह 08 बजकर 42 मिनट पर होगा. ऐसे में योगिनी एकादशी का व्रत 02 जुलाई को रखा जाएगा.

तुलसी पूजा विधि

योगिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और देवी-देवताओं का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें.
स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि भगवान को पीला रंग प्रिय होता है.
पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्धीकरण करें.
विधिपूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें.
इसके बाद तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाएं और तुलसी को लाल चुनरी चढ़ाएं.
तुलसी माता की 11 या 21 बार परिक्रमा करें.
सच्चे मन से तुलसी माता की आरती करें और तुलसी चालीसा का पाठ करें. साथ ही मंत्रों का भी जाप करें.
तुलसी माता को मीठी खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं.
जीवन में सुख-शांति पाने के लिए तुलसी माता से प्रार्थना करें.

तुलसी जी के मंत्र (Tulsi Mantra)

महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

तुलसी पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।