ये सफेद मक्के की खेती कर धमाल मचा रहे हैं कमलेश, 3500 रुपए Kg बिकता है बीज, जाने पूरी जानकारी…

By Alok Gaykwad

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Safed Makka: ये सफेद मक्के की खेती कर धमाल मचा रहे हैं कमलेश, 3500 रुपए Kg बिकता है बीज, जाने पूरी जानकारी। अब तक आपने खेतों में ज्यादातर पीले मक्के और बेबी कॉर्न की ही खेती देखी होगी. लेकिन आज हम आपको बिहार के एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने खेतों में सफेद मक्के की सफलतापूर्वक खेती की है. दरअसल, इस मक्के को मिल्की मक्का कहा जाता है, जिसका रंग और स्वाद दूध जैसा होता है.

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खेती करने वाले का नाम और फायदा

यह सफेद मक्का पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज के मुसहरवा गांव के रहने वाले किसान कमलेश द्वारा उगाया गया है. कमलेश के अनुसार, जहां पीले मक्के के बीज 100 से 150 रुपये प्रति किलो में बिकते हैं. वहीं सफेद मक्के के बीज 3500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं. जहां तक मक्के की बात है तो पीला मक्का 50 रुपये किलो और सफेद मक्का 400 से 500 रुपये किलो के आसपास बिक रहा है.

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वैज्ञानिक की राय में फायदे

कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरू कुमार तिवारी ने Local18 को बताया कि पीले मक्के का एक पौधा दो से तीन सिलें पैदा करता है, जबकि सफेद मक्के का एक पौधा 5 से 6 सिलें पैदा करता है. खास बात यह है कि सफेद मक्के से कई तरह के खाद्य पदार्थ बनाए जा सकते हैं, जिनमें लड्डू, हलवा, सेवई, केक, इडली आदि शामिल हैं. फिलहाल इस मक्के के बारे में और अधिक जानकारी के लिए शोध किया जा रहा है.

सफेद मक्के की खेती कैसे की?

कमलेश पूरे बिहार में रंगीन फसलों की खेती करने के लिए फेमस हैं. रंगीन फसलों की खेती के सिलसिले में इस बार उन्होंने सफेद मक्का भी उगाया है. अगर कमलेश की मानें तो उन्होंने इसके बीज 3500 रुपये प्रति किलो की दर से महाराष्ट्र से मंगवाए थे. जिसके बाद लगभग एक हेक्टेयर में इसकी खेती की गई. बीज डालने के 4 महीने बाद फसल तैयार हो गई और एक झाड़ी से 300 किलो सफेद मक्का निकला.

पीले और सफेद मक्के में क्या अंतर?

सफेद और पीले मक्के में सिर्फ एक रासायनिक पदार्थ ‘सेरोनाइट’ को छोड़कर बाकी सब समान है. मक्के को इसका पीला रंग सेरोनाइट से ही मिलता है. जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, बिहार और राजस्थान के साथ-साथ कई आदिवासी इलाकों में भी लोग सफेद मक्के को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. अच्छी बात यह है कि इसकी पैदावार पीले मक्के की तुलना में कई गुना ज्यादा है.