गेहूं की अपेक्षा ज्वार के आटे में ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं। कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन, पोटैशियम और आयरन की मात्रा इसमें काफी अधिक होती है। यही वजह है कि ज्वार की बाजार मांग अच्छी खासी है। ज्वार भोजन और चारा के लिए सबसे अच्छी बाजरा फसल में से एक है। यह एशिया में अत्यधिक आबादी वाले देशों में बहुत अच्छा प्रधान भोजन प्रदान करता है। ज्वार उगाने से पशुधन के लिए पौष्टिक चारा मिलता है। इस बाजरा को भारत में ज्वार के नाम से भी जाना जाता है। ज्वार का उत्पादन देश की अर्थव्यवस्था और निर्यात में अच्छी भूमिका निभाता है। ज्वार को न्यूनतम पानी की आवश्यकता के साथ उगाया जा सकता है इसलिए शुष्क भूमि के लिए बहुत उपयुक्त है। अगर ज्वार की उन्नत किस्मों से खेती की जाए तो किसानों को अच्छे उत्पादन के साथ बेहतर मुनाफा भी मिलेगा। तो आइये जानते हैं ज्वार की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में।
ज्वार की “एस.एस.जी 59-3” किस्म
एसएसजी किस्म किसानों के लिए हरे चारे की जरूरत को पूरी करने के लिए लाया गया है। इस किस्म से हरे चारे की पर्याप्त पैदावार हो जाती है। इस क़िस्म के पौधों का आकार लम्बा, पतला और कम रसे वाला होता है। इसके पौधे कई बार कटाई के लिए तैयार हो जाते है | इस किस्म से किसानों को औसतन चारे की पैदावार 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और तथा 150 क्विंटल तक सूखे चारे के लिए पैदावार मिल जाती है।
ज्वार की “सीएसवी 23” किस्म
इस किस्म का पौधा कम रसे वाला लम्बा और पतला होता है | यह स्वाद में हल्की मिठास लिए हुए होता है | 110 से 115 दिन में तैयार होने वाली इस बहुउद्देशीय किस्म को उन किसानों द्वारा पसंद किया जा रहा है जो चारे के साथ साथ प्रोटीन युक्त, पाचनशील और ज्यादा पोषक तत्वों से भरपूर अनाज चाहते हैं। अनाज और चारे की पैदावार की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल अनाज और 160 से 170 क्विंटल चारे की पैदावार होती है।
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ज्वार की “सीएसएच 16” किस्म
सीएसएच 16 ज्वार की सबसे उन्नत किस्म है जो अनाज के अच्छे उत्पादन के कारण किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। 105 से 110 दिनों के बीच पककर तैयारी होने वाली इस किस्म का चुनाव खेती के लिए कर सकते हैं। लगभग 4 महीने में इसकी कटाई, उपज आदि का प्रोसेस पूरा हो जाता है। इसके पौधे सामान्य ऊंचाई वाले होते है, जिससे 300 से 400 क्विंटल की फसल प्राप्त हो जाती है, तथा 90 क्विंटल तक सूखा चारा मिल जाता है।
ज्वार की “पी.सी.एच. 106” किस्म
ज्वार की यह क़िस्म 110 दिन पश्चात् कटाई के लिए तैयार हो जाते है। जिसमे निकलने वाला पौधा सामान्य मोटा और लम्बा होता है। इसके पौधे कई बार कटाई के लिए तैयार हो जाते है, जो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 800 क्विंटल का उत्पादन दे देती है। इस तरह किसानों को अनाज के साथ साथ पशुओं के लिए चारे की भी व्यवस्था हो जाती है।
ज्वार की “प्रताप ज्वार – 1430” किस्म
ज्वार की प्रताप ज्वार – 1430 किस्म किस्म को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य था कि ये किस्म तना छेदक व शीर्ष मक्खी के प्रति सहनशील हो। किसान प्रताप ज्वार 1430 की मदद से 30 से 35 क्विंटल तक दाने की पैदावार ले सकते हैं। इस किस्म से न सिर्फ पर्याप्त मात्रा में दाना बल्कि 110 से 115 क्विंटल सूखा चारे की पैदावार भी कर सकते हैं।