Wednesday, December 6, 2023
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उड़द की खेती कर किसान कमा सकते हैं लाखों रुपए, सही तरीके से खेती करने के लिए देखे पूरी प्रोसेस

दलहनी फसलों में उड़द का प्रमुख स्थान है।उड़द की खेती के लिए नम एवं गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। देश में उड़द की खेती महाराष्ट्र, आंधप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू तथा बिहार में मुख्य रूप से की जाती है। तो आइए जानते हैं उड़द की खेती करने की पूरी प्रोसेस।

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उड़द की खेती के लिए उपयुक्त भूमि

उड़द की खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में होती है। हल्की रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि उपयुक्त होती है। पी.एच. 7- 8 के मध्य हो व पानी का निकास की समुचित व्यवस्था हो वह उड़द के लिये उपयुक्त है। उड़द की खेती के लिए अम्लीय व क्षारीय भूमि उपयुक्त नही होती है।

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खेत की तैयारी

खेती की तैयारी के लिए खेती की पहले हल से गहरी जुताई कर ले फिर 2 – 3 बार हैरो से खेती की जुताई कर के खेत को समतल बना ले।

उड़द की खेती में बीज की मात्रा

उड़द अकेले बोने पर 15 से 20 किग्रा बीज प्रति हैक्टेयर तथा मिश्रिम फसल के रूप में बोने पर 6-8 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से लेना चाहिए। बुवाई से पहले बीज को 3 ग्राम थायरम या 2.5 ग्राम डायथेन एम-45 प्रति किलो बीज के मान से उपचारित करना चाहिए।

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उड़द की बुवाई

मानसून के आगमन पर या जून के अंतिम सप्ताह में पर्याप्त वर्षा होने पर बुवाई करें। उड़द के बीज खेत में तैयार की पंक्ति में लगाए जाते है। पंक्ति में रोपाई के लिए मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखना चाहिये साथ ही ध्यान रहे कि बीज डेढ़ से दो इंच गहराई पर बोये।

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सिंचाई

उड़द की खेती में सिंचाई की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती है। पहली सिंचाई पलेवा के रूप में तथा अन्य सिंचाईयाँ 15 से 20 दिन के अन्तराल में फसल की आवश्यकतानुसार करना चाहिए। पुष्पावस्था एवं दाने बनते समय खेत में उचित नमी होना जरुरी है।

खरपतवार नियंत्रण

बुआई के 25 से 30 दिन बाद तक खरपतवार फसल को अत्यधिक नुकासान पहुॅचाते हैं। खेत में खरपतवार अधिक हैं तो 25 दिन बाद एक निराई कर देना चाहिए। जिन खेतों में खरपतवार गम्भीर समस्या हों वहॉं पर बुआई से एक दो दिन पश्चात पेन्डीमेथलीन की 0.75 किग्रा0 सक्रिय मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में छिड़काव कर देना चाहिए।

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फसल की कटाई

जब 70-80 प्रतिशत फलियॉं पक जाएं, हंसिया से कटाई आरम्भ कर देना चाहिए। कटाई का काम 70 से 80 प्रतिशत फलियों के पकने पर ही किया जाना चाहिए। फसल को खलिहान में ले जाने के लिए बंडल बना लें। दानों में नमी दूर करने के लिए धूप में अच्छी तरह से सुखाना जरूरी है। इसके बाद फसल को भंडारित किया जा सकता है।

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