टमाटर की खेती कर कमाना है तगड़ा मुनाफा तो जान ले ये उन्नत जानें किस्में और सावधानियां…

By Alok Gaykwad

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टमाटर की खेती कर कमाना है तगड़ा मुनाफा तो जान ले ये उन्नत जानें किस्में और सावधानियां, पूर्णिया में जून-जुलाई के जलवायु अनुकूल बारिश के मौसम में किसान टमाटर की खेती करते हैं. टमाटर की खेती करते समय कुछ खास किस्मों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि अच्छी पैदावार मिल सके. पूर्णिया के राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी वैज्ञानिक कृषि विशेषज्ञ विकास कुमार जानकारी देते हुए बताते हैं कि इनमें से कुछ काशी के नाम से बनी हुई किस्में बहुत ही खास हैं. इनका उत्पादन कर किसान बाजार में मांग के हिसाब से ज्यादा पैदावार लेकर मुनाफा कमा सकते हैं. आइए जानते हैं कौन सी किस्में ज्यादा मुनाफा देंगी.

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मुनाफे वाली टमाटर की किस्में

हर दिन तो किसान अपने खेतों में नई फसल लगाकर नए-नए प्रयोग करते हैं. लेकिन, जैसे ही बारिश का मौसम आता है, वैसे ही किसान भाई अपनी सब्जियों को लेकर परेशान होने लगते हैं और अगर किसान टमाटर की खेती करते हैं तो इसकी बाजार में भी अच्छी डिमांड रहती है. ऐसे में जानकारी देते हुए पूर्णिया के राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी वैज्ञानिक विकास कुमार ने लोकल 18 को बताया कि पूर्णिया के जलवायु के लिए उपयुक्त टमाटर की नई किस्में लगाकर कम लागत और कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि जून और जुलाई के महीने में पूर्णिया जिले के किसान या अन्य जिलों के किसान भी बनारस टमाटर की इन सभी किस्मों की खेती कर सकते हैं.

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उगाएं ये किस्में

उन्होंने बताया कि काशी अनुपम, काशी अमन, काशी अभिमान, काशी आदर्श, काशी विशेष, काशी मेघाली, काशी विकास, अविनाश, 23 वैशाली, रुपाली, नवीन, लता, पूसा हाइब्रिड, पूसा हाइब्रिड 4, सदाबहार जैसी इन नई विशेष किस्मों की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.

बारिश के दिनों में ऐसे करें देखभाल, फलों को गिरने से बचाएं

हालांकि, उनका कहना है कि ये पूर्णिया के जलवायु के लिए काफी अनुकूल खेती मानी जाती है और टमाटर की खेती कर किसान बाजार में भी अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं. ऐसे में टमाटर की खेती करते समय बारिश के दिनों में ध्यान देने वाली कुछ खास बातों का खास ख्याल रखना होता है किसान भाइयों को. हर 10 दिन के अंतराल पर पौधे पर नीम के बीज का तेल का छिड़काव करें.

दरअसल, ये पूरी तरह से प्राकृतिक होता है और इससे पूरी तरह से पीड़ादायक नाशक दवाओं का असर नहीं होता है. ऐसे में नीम के तेल का इस्तेमाल कर किसान आसानी से पौधे को बचा सकते हैं. वहीं उन्होंने किसानों को बताया कि पिलमैक्सिन ग्रुप की सभी दवाएं जिनकी डोज 20 से 25 पीपीएम होती है, उसका लगभग 1 ग्राम 4 लीटर 30 मिलीलीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

ऐसे तैयार करें खेत, फिर करें रोपाई

कृषि विशेषज्ञ विकास कुमार बताते हैं कि सबसे पहले किसानों को अपना खेत पूरी तरह से तैयार कर लेना चाहिए और ध्यान रहे खेत की आखिरी जुताई से पहले जस्ता और बोरॉन 10 किलो प्रति हेक्टेयर की मात्रा में खेत में अच्छी तरह से मिलाकर तैयार कर लें. फिर बारिश के मौसम में खेत से पानी आसानी से निकल जाए इसलिए क्यारियां बनाकर ही रोपाई करें, समतल जमीन पर ना लगाएं.