बकरी पालन शुरू करने से पहले ज़रूर जान लें ये 20 ज़रूरी टिप्स,मुनाफे का सौदा है ये धंधा

जब भी कोई आदमी बकरी पालन का धंधा शुरू करने की सोचता है, तो उसके दिमाग में कई सवाल आते हैं। कितने बकरियों से शुरुआत करें? दूध के लिए पालें या मांस के लिए? कौन सी नस्ल पाले? कौन सी बकरी ज़्यादा दूध देती है? कौन सी नस्ल जल्दी बढ़ती है? ऐसे कई सवाल हैं जिनके बारे में जानना ज़रूरी है।
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कुछ लोग तो ये भी पूछते हैं कि बकरी पालन की ट्रेनिंग ज़रूरी है कि नहीं। आजकल तो पढ़े-लिखे लोग भी ट्रेनिंग ले रहे हैं। मथुरा के सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन गोट (CIRG) में तो ट्रेनिंग के लिए हमेशा 250-300 लोगों की वेटिंग लिस्ट रहती है!
बकरी पालन शुरू करने से पहले ये टिप्स ज़रूर पढ़ लेना:
दूध वाली बकरियाँ:
- ब्लैक बंगाल: रोज़ाना लगभग 750 ग्राम तक दूध देती है, और एक बार में तीन-चार बच्चे देती है।
- बीटल: ये तो रोज़ाना तीन-चार लीटर दूध दे देती है!
- बरबरी: ये भी ठीक-ठाक दूध देती है, एक से ढाई लीटर रोज़ का।
- जखराना, सिरोही, तोतापरी, सोजत और सुरती: ये सब भी दो से तीन लीटर दूध रोज़ाना देती हैं।
मांस वाली बकरियाँ
वैसे तो हर नस्ल की बकरी का मांस बाज़ार में बिकता है। लेकिन बरबरी और ब्लैक बंगाल के मांस की ज़्यादा डिमांड रहती है।
बकरियों का घर कैसा हो
अगर आपके पास 25-30 बकरियाँ हैं, तो उनके लिए 20 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा हॉल ठीक रहेगा। फर्श थोड़ा खुरदुरा होना चाहिए ताकि पेशाब ज़मीन में सोख ले। फर्श की मिट्टी ढीली होनी चाहिए, जैसे रेत होती है।
बकरियों के पेशाब और गोबर से मीथेन गैस निकलती है। ये गैस ज़मीन से डेढ़-दो फीट की ऊँचाई तक रहती है। अगर बकरी इस ऊँचाई पर सांस लेती है, तो वो बीमार पड़ सकती है। 100 बकरियाँ महीने में एक ट्रॉली गोबर देती हैं। और एक ट्रॉली गोबर हज़ार रुपये तक में बिक जाता है!
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बकरियों का खाना:
- हरा चारा: एक से सवा किलो
- सूखा चारा (हे): एक किलो
- मक्का, बाजरा, दाल का चूरा, सोयाबीन और मूंगफली की खली: लगभग 350 ग्राम।