Surya Pooja: रविवार को सूर्य देव की पूजा का महात्म्य, जानिए पूजन की सरल विधि

By charpesuraj4@gmail.com

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Surya Pooja: हिंदू धर्म में सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है. रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है और इस दिन उनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त रविवार के दिन व्रत रखकर सूर्य देव की आराधना करते हैं, उन पर सूर्य देव की कृपा बरसती है और उन्हें जीवन में सफलता, यश और आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है.

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रविवार को सूर्य देव की पूजा करने की विधि काफी सरल है. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्घ्य दें. जल में थोड़ा सा रोली और अक्षत मिला लें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें. इसके बाद आप सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्य नमस्कार कर सकते हैं और उनके वैदिक मंत्रों का जाप कर सकते हैं.

पूजा की समाप्ति में आप सूर्य देव की आरती गाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. रविवार को सूर्य देव की पूजा करने से न केवल आपको ग्रहों का शुभ फल प्राप्त होता है बल्कि इससे आपको आरोग्य, वैभव और यश की प्राप्ति भी होती है.

।। भगवान सूर्य की आरती ।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।