आज ही शुरू करे इस खास फूल की खेती और बिकता है 100 रूपये किलो…इस फूल की खेती कर कई किसान बने लखपति, हज़ारों लोगों को रोजगार देने वाला कृषि क्षेत्र लगातार नई सफलता की कहानियां रच रहा है। ऐसी ही एक कहानी है बबनजोत ब्लॉक के ग्राम पंचायत मंजीजोत के रहने वाले डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव की। डॉक्टर अनिल पारंपरिक खेती के बजाय गेंदे के फूलों की व्यावसायिक खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। उनकी सफलता को देखकर अब आसपास के कई किसान भी गेंदे की खेती अपना रहे हैं।
साल 2016 में मात्र 16 हज़ार रुपये की पूंजी लगाकर उन्होंने गेंदे के फूलों की खेती शुरू की। पहले साल थोड़ा मुनाफा हुआ तो उनका हौसला बढ़ गया। आज वे इस खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं।
गेंदे के फूल की खेती कर डॉक्टर बना मालामाल
अनिल बताते हैं कि वे गेंदे के पौधे बनारस से मंगवाते हैं। जनवरी के महीने में पौधे लगाए जाते हैं। पौधे लगाने के 60 दिन बाद फूल खिलना शुरू हो जाते हैं। इसके बाद 6 महीने तक फूल खिलते रहते हैं और व्यापारी खेत से ही उन्हें तोड़कर ले जाते हैं। डॉ. अनिल ने बताया कि उन्होंने इस साल 5 एकड़ में पूसा ऑरेंज और पूसा बसन्ती गेंदे की खेती की है। जिससे उन्हें अब तक अच्छा मुनाफा हुआ है।
उनके अनुसार, एक एकड़ गेंदे की खेती से लगभग डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा होता है। डॉ. अनिल अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी गेंदे की खेती करना सिखा रहे हैं। ब्लॉक के रासूलपुर खान, मड्डो देवरिया समेत आधा दर्जन से अधिक किसानों ने गेंदे की खेती शुरू कर दी है।
अनिल बताते हैं कि इस क्षेत्र के ज्यादातर किसानों को धान, गेहूं, गन्ना जैसी पारंपरिक फसलों की खेती में उतना मुनाफा नहीं हो पाता है, जितना हमें फूलों की खेती से हो रहा है। डॉ. अनिल कुमार की खेती को देखते हुए अब क्षेत्र के अन्य किसान भी पारंपरिक खेती छोड़कर गेंदे की खेती अपना रहे हैं। एक एकड़ खेती में 25 क्विंटल तक की उपज होती है
ये भी पढ़े- T20 World Cup 2024: अफगानिस्तान ने युगांडा के खिलाफ रचा इतिहास! तोड़ दिया 8 साल पुराना ये रिकॉर्ड
अनिल कुमार बताते हैं कि एक एकड़ खेत में लगभग 25 क्विंटल गेंदे का फूल निकलता है। उन्होंने बताया कि इससे एक एकड़ में लगभग डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा होता है। गेंदे के फूलों के लिए किसानों को बाजार ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती है। व्यापारी खेत से ही उन्हें खरीद लेते हैं। यही इस खेती का सबसे बड़ा फायदा है। फूल खेत से ही 60 रुपये किलो तक बिक जाते हैं।
आवारा पशुओं से नुकसान का डर नहीं
आजकल खेतों में छोटे जानवर किसानों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं। ये जानवर फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। किसानों को रात में अपने खेतों की रखवाली के लिए जाना पड़ता है। जबकि गेंदे की खेती में इससे कोई परेशानी नहीं है। डॉ. अनिल बताते हैं कि उनके गांव में भी नीलगाय, आवारा पशुओं और जंगली जानवरों का आतंक रहता है। हर साल ये जानवर सैकड़ों एकड़ की फसल तबाह कर देते हैं। लेकिन गेंदे की फसल को जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। यही इसका सबसे बड़ा फायदा है।