टाटा मोटर्स ने सिंगूर-नैनो प्रोजेक्ट में मुआवजे का केस जीत लिया है। कंपनी ने सोमवार को कहा कि एक मध्यस्थता पैनल ने सिंगूर-नैनो प्रोजेक्ट केस में पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (WBIDC) से ब्याज समेत 766 करोड़ रुपए की वसूली के लिए उसके पक्ष में फैसला सुनाया है। आइये मामले से जुड़ी पूरी जानकारी को समझते हैं।
ये भी पढ़े – Honda XL750 Transalp भारत में लॉन्च, नई एडवेंचर बाइक की फीचर्स और कीमत के बारे में जाने
क्या है पूरा मामला
टाटा मोटर्स ने 2006 में सिंगूर में “नैनो” कार बनाने के लिए प्लांट लगाने की घोषणा की थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाने के लिए टाटा मोटर्स को लगभग 1,000 एकड़ कृषि भूमि आवंटित की थी। सिंगूर प्रोजेक्ट को लेकर 2006 से कोलकाता में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया गया। पॉलिटिकल लीडर्स और किसानों के कड़े विरोध के बाद कंपनी ने अपनी योजनाओं को रद्द करने का फैसला किया। जिसके कारण रतन टाटा ने नैनो प्रोजेक्ट को सिंगूर से बाहर निकालने की घोषणा की।
गुजरात के साणंद में शिफ्ट किया गया प्रोजेक्ट
टाटा मोटर्स ने सिंगूर परियोजना बंद होने के बाद जून, 2010 में अपनी छोटी कार नैनो के विनिर्माण के लिए साणंद में एक नया संयंत्र चालू किया गया। रतन टाटा ने साल 2008 में देश के मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए अपनी ड्रीम कार टाटा नैनो लॉन्च की थी। ये भारतीय कार इतिहास की अब तक की सबसे सस्ती कारों में से एक है।
766 करोड़ रुपए का मुआवजा
टाटा मोटर्स ने दी गई सूचना में कहा कि तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है। कंपनी प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (WBIDC) से 1 सितंबर 2016 से 11 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज के साथ 765.78 करोड़ रुपये की वसूली करने की हकदार है।