Crop Protection Measures: भरी सर्दी में गलन और पाले से फसले हो रही बर्बाद, तो जल्दी करे ये उपाय, उत्तर भारत सहित देश के विभिन्न राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही हैं। कई क्षेत्रों के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई एवं पाला व गलन बढ़ने के कारण लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं। गलन बढ़ने व पाला पड़ने के कारण किसानों की रबी मौसम की फसलों को नुकसान होने का भी अनुमान हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने देश में यलो अलर्ट जारी किया हैं।
साथ ही सर्दी व गलन को बढ़ते देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने भी किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने गेहूं, चना, सरसों और सब्जी की फसलों पर मौसम के हिसाब से विशेष निगरानी करने की सलाह दी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों को उनकी बोई गई फसलों के आधार पर कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी हैं।
गेहू की फसलों को ख़राब होने से बचाने के उपाय
खरीफ फसलों की देरी से कटाई करने की वजह से कई किसानों ने गेहूं की पछेती बुवाई की है। यदि आपने नवंबर के अंत या दिसंबर के पहले सप्ताह में गेहूं फसल की बुवाई की थी तो आपकी फसल 30 दिन के लगभग की हो गई है, फसल में शाम के समय हल्की सिंचाई का काम कर लें।
- फसल को पोषण प्रदान करने के लिए खाद व उर्वरक का उपयोग सही मात्रा व सही समय पर करें, इससे पौधों का ठीक तरह से विकास हो सके। इसके लिए नाइट्रोजन खाद की आधी मात्रा को सिंचाई के 3 से 4 दिन बाद खेतों में अवश्य डलवा दें।
- यदि आपकी फसल में दीमक के लक्षण नजर आएं तो 20 किलो रेत के साथ क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी के मिश्रण को शाम के समय खेतों में छिड़काव करवा देना चाहिए।
सब्जियों की फसलों को ख़राब होने से बचाने के उपाय
इस समय रबी सीजन में देश के कई राज्यों में किसानों ने सीजनल सब्जियों की फसल लगाई है। सर्दी के सीजन में तापमान में गिरावट के साथ ही है सब्जी की फसलों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। खासतौर पर मटर और टमाटर की फसल में फली छेदक रोग लगने की संभावना अधिक रहती है, जिससे फसल को बचाने के लिए प्रति एकड़ 3 से 4 फेरोमेन ट्रैप के लगाने होते हैं।
- यदि आपने पत्तागोभी, फूलगोभी, नॉलखोल की नर्सरी तैयार की थी, तो खेत की मेड़ों पर तैयार पौधों की रोपाई कर सकते हैं
- किसान पारंपरिक फसलों के साथ खेत के एक हिस्से में पालक, धनिया और मेथी की बुवाई करके भी अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं
- पत्तेदार सब्जियों के बेहतर विकास करने के लिए 20 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से बेहतर उपज प्राप्त होती हैं।
- इस समय आलू और टमाटर की फसल में भी ब्लाइट रोग का संक्रमण लग सकता है, जिसकी निगरानी और समय पर रोकथाम करना बेहद जरूरी है।
- इन फसलों में ब्लाइट रोग के लक्षण दिखने पर 1.0 ग्राम कार्बेंडाजिम या 2.0 ग्राम डाइथेन-एम-45 को प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए।
- मटर की फसल में फल व फलियों के सही विकास और बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए समय-समय पर यूरिया का छिड़काव करना चाहिए।
- रबी सीजन में बोई गई प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट और बैंगनी धब्बा रोग के संक्रमण लगने की भी संभावना होती हैं इनके लक्षण दिखने पर चिपचिपी सामग्री (टिपोल 1.0 ग्राम/लीटर) के साथ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में डायथेन एम-45 का खेत में छिड़काव किया जा सकता है।