रिक्शा चालक परंपरागत खेती को अलविदा और जैविक खेती अपनाकर रचा इतिहास, जाने पूरी डिटेल्स…

By Alok Gaykwad

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रिक्शा चालक परंपरागत खेती को अलविदा और जैविक खेती अपनाकर रचा इतिहास, जाने पूरी डिटेल्स, आजकल खेती के क्षेत्र में कई नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. इनमें से जैविक खेती की तरफ रुझान तेजी से बढ़ रहा है. पारंपरिक खेती की तुलना में आधुनिक खेती, जैविक खेती करके किसान अब अच्छी कमाई कर रहे हैं.

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अब जमाना बदल चुका है, खेती से लोग लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. पहले जहां खेती छोड़कर लोग बड़े शहरों में काम करने चले जाते थे, वहीं आजकल लोग बड़ी-बड़ी नौकरियां छोड़कर जैविक खेती अपना रहे हैं.

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रिक्शा चालक से सफल जैविक किसान बने शंकरलाल डामोर

राजस्थान के रहने वाले शंकरलाल डामोर पहले रिक्शा चलाते थे. लेकिन आज वो एक सफल किसान बन चुके हैं. उन्होंने जैविक खेती के जरिए अपने खेतों में कई तरह की फसलें उगाना शुरू किया. मौसमी सब्जियों के साथ-साथ वो धान, गेहूं, मूंग जैसी फसलें भी उगा रहे हैं.

शंकरलाल बताते हैं कि उनके बेटे गुजरात में मजदूरी करते थे. वहीं से उन्हें जैविक खेती के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद साल 2020 में वो अपने गांव लौटे और खेती करने लगे.

जैविक खेती सीखी, बदली जिंदगी

उन्होंने जैविक खेती करने वाली संस्था वाधाड़ से भी जानकारी जुटाई. संस्था के लोगों की सलाह पर उन्होंने जैविक खेती सीखी और खेतों में काम शुरू किया. अपने खेतों के आसपास उन्होंने केला, गन्ना, आम और अमरूद के पेड़ भी लगाए. साथ ही जीवामृत जैसा जैव-उर्वरक बनाना, वर्मीकम्पोस्टिंग और वर्मी बेड आदि बनाकर खेती शुरू की.

शंकरलाल बताते हैं कि उनके खेतों में उगने वाली फसलें बाजार तक पहुंचने से पहले ही बिक जाती हैं. वो खेती करने में कम खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं. जिससे खेती की लागत भी कम हो गई है.

दूसरों को भी कर रहे हैं प्रेरित

पारंपरिक खेती को छोड़कर नई तकनीक अपनाने वाले शंकरलाल आज एक साल में 1 करोड़ से भी ज्यादा कमा रहे हैं. वो न सिर्फ जैविक खेती करके लाखों रुपये कमा रहे हैं बल्कि दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं. अब वो अपने गांव और आसपास के लोगों को जैविक खेती के तरीके बता रहे हैं. उनकी सीख से प्रेरित होकर अब गांव के अन्य लोग भी जैविक खेती अपना रहे हैं.