Retirement plan: बुढ़ापा को मिलेगा अच्छी जिंदगी का साथ, कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपने पैसों का सही उपयोग

By abarskar18@gmail.com

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Retirement plan: बुढ़ापा को मिलेगा अच्छी जिंदगी का साथ, कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपने पैसों का सही उपयोग

Retirement plan: रिटायरमेंट जिंदगी का वो सुनहरा दौर होता है, जहां हमें पैसा कमाने के लिए काम करने की जरुरत नहीं होती. इस दौरान हमारे ऊपर कम जिम्मेदारियां होती हैं और ख़ुद के लिए ज़्यादा वक्त और आज़ादी मिलती है. ये जीवन का एक खूबसूरत नया सफर हो सकता है, लेकिन इस शर्त पर कि हम आर्थिक रूप से सुरक्षित हों और इस बदलाव के लिए तैयार हों.

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दुनियाभर में औसतन 3.4 कामकाजी लोग 1 रिटायर्ड व्यक्ति का भरण-पोषण करते हैं. आने वाले समय में ये आंकड़ा और भी कम हो जाएगा. उदाहरण के तौर पर, जापान पहले से ही इस स्थिति का सामना कर रहा है और अगले दो दशकों में 35 से भी ज्यादा देश जापान की तरह होंगे, जहां सिर्फ 2 लोग ही 1 बुजुर्ग का ख्याल रख सकेंगे.

बढ़ती उम्र के साथ आबादी वाले देश पहले से ही वित्तीय साक्षरता बढ़ाकर, रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर, व्यापक चिकित्सा सुविधाएं देकर और यहां तक कि बुजुर्गों की मदद के लिए “केयर रोबोट” बनाकर इस चुनौती का सामना कर रहे हैं. इस तरह हम इस समस्या को कम कर सकते हैं.

लेकिन भारत जैसे युवा देश का क्या?

हालांकि अभी हमारी औसत उम्र 30 साल है, लेकिन अगले 20-30 सालों में इसमें काफी बदलाव आएंगे. विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास के कारण, भारत में लोगों की औसत उम्र भी बढ़ रही है, यानी लोग अब ज़्यादा जी रहे हैं.

साथ ही, हम कम उम्र में काम करना शुरू कर रहे हैं क्योंकि हम ज़्यादा पढ़ाई कर रहे हैं और देर से नौकरी ज्वाइन कर रहे हैं. इस वजह से रिटायरमेंट का सबसे बड़ा खतरा ये है कि हम उस समय तक आर्थिक रूप से पूरी तरह से आज़ाद होने के लिए तैयार न हों.

तो क्या हम ये जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं? आइए कुछ चीजों पर गौर करें जो आपकी तैयारी को दर्शाती हैं.

रिटायरमेंट इनकम से जुड़ी 4 चीजें याद रखें:

रिटायरमेंट इनकम के 4 मुख्य स्तंभ हैं: सामाजिक सुरक्षा, नौकरी से जुड़ी योजनाएं, व्यक्तिगत रिटायरमेंट निवेश और पारिवारिक/सामाजिक ढांचा. भारत में सामाजिक सुरक्षा उतनी विकसित नहीं है, जितनी विकसित देशों में है.

सिर्फ सरकारी नौकरी या संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग ही नौकरी से जुड़ी पेंशन योजनाओं के लिए पात्र होते हैं. सामाजिक ढांचा भी बदल रहा है, लोग अब संयुक्त परिवार प्रणाली से नाभिकीय परिवार प्रणाली की ओर जा रहे हैं, इसलिए रिटायरमेंट के बाद आय के लिए परिवार के सहारे पर निर्भर नहीं रह सकते.

इस तरह भारतीयों के लिए रिटायरमेंट इनकम का सिर्फ एक ही भरोसेमंद स्तंभ बचता है – वो है व्यक्तिगत रिटायरमेंट निवेश.

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महंगाई चुपके से पैदा कर रही है परेशानी:

महंगाई लगातार बढ़ रही है. किराने का सामान से लेकर बिजली के बिल, टैक्सी के किराए से लेकर इलाज के खर्च तक, महंगाई हर चीज़ की कीमतों को प्रभावित करती है. उदाहरण के तौर पर, अगले 30 सालों में सिर्फ 30,000 रुपये का मासिक खर्च 1.40 लाख रुपये (5.3% की महंगाई दर मानकर) तक बढ़ जाएगा. वो भी तब, जब हम वही लाइफस्टाइल अपनाते रहें. अगर इस कैलकुलेशन में लाइफस्टाइल इन्फ्लेशन को भी जोड़ दिया जाए, तो आपका मासिक बजट और भी ज़्यादा बढ़ जाएगा.