‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2023’ इवेंट में आज रिलायंस जियो ने ‘Jio स्पेस फाइबर’ टेक्नोलॉजी पेश की। ‘जियो स्पेस फाइबर’ सैटेलाइट बेस्ड गीगा फाइबर टेक्नोलॉजी है, इसकी मदद से गांव और दुगर्म इलाकों में भी नेटवर्क की कोई परेशानी नहीं होगी और इंटरनेट की स्पीड भी पहले के मुकाबले बढ़ जाएगी।
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क्या है स्पेस फाइबर टेक्नोलॉजी ?
मिली जानकारी के मुताबिक ‘जियो स्पेस फाइबर’ सैटेलाइट बेस्ड गीगा फाइबर टेक्नोलॉजी है। ये उन दूर-दराज इलाकों को कनेक्ट करेगा जहां फाइबर केबल से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाना मुश्किल है। सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सेवा वायर और वायरलेस के मुकाबले सस्ती हो सकती है। कंपनी का कहना है कि इसके जरिए देश के करीब 45 करोड़ यूजर्स को फायदा पहुचेगा।
प्रधानमंत्री मोदी भी कार्यक्रम में पहुंचे
ये इवेंट दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किया गया था। रिलायंस जियो के चेयरमैन आकाश अंबानी ने PM मोदी को जियो एयर फाइबर, स्पेस फाइबर समेत अन्य टेक्नोलॉजी की जानकारी दी।रिलायंस जियो पहले ही भारत में फिक्सड लाइन और वायरलेस के जरिए हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सर्विस और जिओ एयर फाइबर मुहैया करा रहा है। जहां वायर पहुंचाना और टावर लगाना मुश्किल है जिओ की ये नई सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस उन क्षेत्रों में भी हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा प्रदान करने में सक्षम होगा।
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भारत के चार स्थानों को Jio स्पेस फाइबर से जोड़ा गया
भारत के चार सबसे दूरस्थ स्थान जियो स्पेस फाइबर से जोड़े जा चुके हैं। यह इलाके – गिर (गुजरात), कोरबा (छत्तीसगढ़), नबरंगपुर (ओडिशा) और जोरहाट (असम) हैं। जियो फाइबर और जियो एयर फाइबर के बाद रिलायंस जियो के कनेक्टिविटी पोर्टफोलियो की यह तीसरी बड़ी टेक्नोलॉजी है।