Google pay, Phone pe, Paytm जैसी कंपनियों के एकाधिकार से डरी RBI देखिये कितना धोका दे रहे हैं यह app। केस-लेस लेन-देन के मामले में हमारा भारत दूसरे देशो की तुलना बहुत सिक्योर और आसान माना जाता है। यहां तक की हम अपनी छोटी-मोटी जरूरतों के लिए भी फ़ोन पे जैसी थर्ड पार्टी के ऊपर निर्भर हैं परन्तु इस केस-लेस लेन-देन ने इतना व्यापक रूप धारण कर लिया है जिससे RBI ,और भारत सरकार को इनके एकाधिकार होने का डर सताने लगा है। जिस विषय में RBI ने थर्ड पार्टी पर लगाम लगाने के लिए एक बैठक बुलाई थी।
किस हद तक है इन थर्ड पार्टी apps की बाजारी हिस्सेदारी
वर्तमान में लेनदेन की कोई सीमा नहीं होने की वजह से दो कंपनियों गूगल पे और फोन पे की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर करीब 80 फीसदी हो गई है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई गई थी। इसमें एनपीसीआई के अधिकारियों के साथ वित्त मंत्रालय और आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए थे । एनपीसीआई ने नवंबर, 2022 में एकाधिकार के जोखिम से बचने को थर्ड पार्टी एप प्रदाताओं (TPAP) के लिए 30 फीसदी लेनदेन की सीमा तय करने का प्रस्ताव दिया था।

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कितना कर पायंगे लेन देन
थर्ड पार्टी यूपीआई भुगतान सेवा के मामले में गूगल पे और फोन पे का एकाधिकार अगले महीने से खत्म हो सकता है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) थर्ड पार्टी यूपीआई भुगतान सेवा के लिए कुल लेनदेन की सीमा को 30 फीसदी तक सीमित करने के फैसले पर आरबीआई से बात कर रहा है। एनपीसीआई इस फैसले को 31 दिसंबर से लागू करना चाहता है।और जल्द ही हमें नए कानूनों से अवगत करा दिया जायगा
कब तक है फैसला आने की उम्मीद
एनपीसीआई इस महीने के अंत तक यूपीआई बाजार सीमा लागू करने के मुद्दे पर फैसला कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, एनपीसीआई फिलहाल सभी संभावनाओं का मूल्यांकन कर रहा है। 31 दिसंबर की समय-सीमा को बढ़ाने पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि, एनपीसीआई को समय-सीमा बढ़ाने के लिए उद्योग के हितधारकों से अनुरोध मिले हैं और उनकी जांच हो रही है।