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रबी मौसम में करें सरसों की खेती और कमाए बंपर मुनाफा, अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए पढ़े पूरी खबर

सरसों को रबी की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में माना जाता है। ठंड के मौसम में सरसों की खेती करना सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। भारत में सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्‍ट्र में की जाती है। भारत में सरसों का तेल लगभग सभी घरों में खाद्य तेल के रूप में काम आता है। मुख्य तौर पर सरसों के तेल के साथ-साथ सरसों के पत्ते का उपयोग सब्जी बनाने में होता हैं और सरसों की खली भी बनती है। तो आइये जानते है सरसों की खेती करने के लिए सम्पूर्ण जानकारी को।

सरसों की खेती करने के लिए जलवायु

सरसों की खेती शरद ऋतु में की जाती है। रबी की फसल होने के कारण मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर तक सरसों की बुवाई कर देनी चाहिए। अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 15 से 25 डिगी तापमान की आवश्यकता होती है।

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मिट्टी

वैसे तो इसकी खेती सभी सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है ,लेकिन सरसों की अच्छी उपज पाने के लिए समतल एवं अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। यह फसल हल्की क्षारीयता को सहन कर सकती है, लेकिन मृदा अम्लीय नहीं होनी चाहिए।

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खेत की तैयारी

सरसों के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है। खेत को सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए। इसके बाद तीन बार जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करना चाहिए, इसकी जुताई करने के पश्चात पाटा लगा कर खेत को समतल कर लेना चाहिए।

सरसों की बुवाई

सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक है। सरसों की फसल की बुवाई के लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। सरसों की बुवाई देशी हल के पीछे 5 से 6 सेंटीमीटर गहरे कूडो में 45 सेंटीमीटर की दूरी पर करना चाहिए।

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सिंचाई

सरसों की फसल में पहली सिंचाई 25 से 30 दिन पर करनी चाहिए फिर दूसरी सिंचाई फलियाें में दाने भरने की अवस्था में करना चाहिए, यदि जाड़े में वर्षा हो जाती है, तो दूसरी सिंचाई न भी करें तो भी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। ध्यान रहे सरसों में फूल आने के समय खेत की सिंचाई नहीं करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

सरसों के साथ अनेक प्रकार के खरपतवार उग आते है, इनके नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई बुवाई के तीसरे सप्ताह के बाद से नियमित अन्तराल पर 2 से 3 निराई करनी आवश्यक होती हैं।

फसल की कटाई

सरसों की फसल में जब 75% फलियाँ सुनहरे रंग की हो जाए, तब फसल को काटकर, सुखाकर या मड़ाई करके बीज अलग कर लेना चाहिए, सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखाकर ही भण्डारण करना चाहिए।

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