केले की ज्यादा पैदावार के लिए टिशू कल्चर विधि से तैयार करे पौधे! कम समय में देगी तगड़ा मुनाफा

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केले की ज्यादा पैदावार और मुनाफा देंगी टिशू कल्चर विधि से तैयार पौधे! जाने तरीका

केले की ज्यादा पैदावार के लिए टिशू कल्चर विधि से तैयार करे पौधे! कम समय में देगी तगड़ा मुनाफा। केले की ज्यादा पैदावार और मुनाफा देंगी टिशू कल्चर विधि से तैयार पौधे! जाने तरीका, केले की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है! अब टिशू कल्चर की नई तकनीक से आप ज्यादा पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं. इस तरीके से तैयार किए गए पौधे रोगमुक्त होते हैं, फल अच्छी गुणवत्ता के और एक जैसे लगते हैं, साथ ही प्रति पौधा ज्यादा पैदावार मिलती है.

पारंपरिक तरीकों से केले की खेती में आने वाली कई समस्याओं का समाधान टिशू कल्चर है. इस विधि से उच्च गुणवत्ता वाले, एक जैसे और रोगमुक्त पौधे तैयार किए जाते हैं. इससे केले की पैदावार और गुणवत्ता दोनों बेहतर होती है और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता है. पिछले कुछ सालों में केले की उन्नत किस्मों के पौधे भी टिशू कल्चर विधि से तैयार किए जा रहे हैं. इस तरीके से तैयार पौधों से केले की खेती करने के कई फायदे हैं.

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टिशू कल्चर केले के पौधों की खासियत

डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख और आईसीएआर-एआईसीआरपी (फल) परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. एस.के. सिंह बताते हैं कि टिशू कल्चर से तैयार केले के पौधे स्वस्थ होते हैं और इनमें कोई बीमारी नहीं होती. इनके फल एक ही आकार, प्रकार और गुणवत्ता के होते हैं. टिशू कल्चर से तैयार पौधों में फल लगना लगभग 60 दिन पहले शुरू हो जाता है. पहली फसल 12-14 महीनों में प्राप्त हो जाती है, जबकि पारंपरिक पौधों में 15-16 महीने लगते हैं. टिशू कल्चर से तैयार पौधों की औसत पैदावार प्रति पौधा 30-35 किलो तक हो सकती है. वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर 60 से 70 किलो तक का गुच्छा प्राप्त किया जा सकता है. पहली फसल के बाद दूसरी फसल (रatoon) 8-10 महीनों में आ जाती है, तो इस तरह 24-25 महीनों में दो फसलें ली जा सकती हैं. टिशू कल्चर की किस्मों की खेती करने से समय और पैसा दोनों बचता है, जिससे मुनाफा ज्यादा होता है.

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टिशू कल्चर पौधे खरीदते समय किसान रखें ध्यान

डॉ. एस.के. सिंह केले की खेती करने वाले किसानों को सलाह देते हैं कि जब वे नर्सरी से टिशू कल्चर पौधे खरीद रहे हों, तो ध्यान दें कि अच्छे टिशू कल्चर पौधे की ऊंचाई कम से कम 30 सेमी होनी चाहिए और तने की मोटाई 5.0-6.0 सेमी होनी चाहिए. नर्सरी वाले पौधे में 5-6 सक्रिय और स्वस्थ पत्तियां और 25-30 सक्रिय जड़ें होनी चाहिए, जिनकी लंबाई 15 सेमी से ज्यादा हो. पॉलीबैग की लंबाई 20.0 सेमी, व्यास 16 सेमी और उसका वजन 700-800 ग्राम होना चाहिए.

टिशू कल्चर केले के पौधे कैसे हैं बेहतर?

डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, टिशू कल्चर से तैयार केले के पौधे मूल पौधे के बिलकुल आनुवंशिक समरूप होते हैं और रोगाणुओं से मुक्त होते हैं. ये पौधे ज्यादा मजबूत होते हैं और पारंपरिक पौधों की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं. इनमें जल्दी फल आते हैं और पैदावार की क्षमता ज्यादा होती है. इन्हें अधिक घनत्व में लगाया जा सकता है, जिससे रासायनिक खादों की जरूरत कम हो जाती है. ये पौधे सूखा और तापमान में बदलाव जैसी दिक्कतों को भी ज्यादा सहन कर सकते है।