Phalsa ki Kheti: फालसा की खेती कर कमा लोंगे रिकॉर्ड तोड़ मुनाफा, जाने खेती पूरी डिटेल्स

By Alok Gaykwad

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Phalsa ki Kheti: फालसा की खेती कर कमा लोंगे रिकॉर्ड तोड़ मुनाफा, जाने खेती पूरी डिटेल्स। फालसा भारत का एक स्वादिष्ट और पोषक फल है, जो शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है. इसकी कठोर प्रकृति के कारण इसकी खेती सूखे वाले इलाकों के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है. फलसा की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. हालांकि, फलों और पौधों के औषधीय गुणों से भरपूर होने के बावजूद, फालसे को कम उगाई जाने वाली फसलों में गिना जाता है. इसकी खेती अभी भी भारत में छोटे स्तर पर ही की जाती है.

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फालसा का सेवन ताजे फल और जूस के रूप में किया जाता है. इसके गूदे में प्रोटीन, विटामिन, अमीनो एसिड, फाइबर और कई खनिज लवण पाए जाते हैं, जो पोषण के लिए बहुत उपयोगी होते हैं. इसके अलावा, फलसा के पत्ते, तना और जड़ें जैसी अन्य चीजों का भी उपयोग किया जाता है. इनका उपयोग ईंधन, लकड़ी, घरेलू जानवरों के चारे और पारंपरिक दवाओं के लिए किया जाता है.

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जलवायु और मिट्टी

फालसा उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में उगने के लिए उपयुक्त होता है. फलों के पकने के साथ-साथ रंग विकास और गुणवत्ता में सुधार के लिए पर्याप्त धूप और गर्म तापमान जरूरी होता है. इसकी खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. 30 से 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाले क्षेत्रों में किसान फलसा की खेती कर सकते हैं.

फालसा की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. फलसा की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.1 से 6.5 के बीच होना चाहिए.

बुवाई और उपयुक्त समय

फालसा की बुवाई बीजों या कलमों से की जाती है. बीजों को बोने से पहले 24 घंटे के लिए पानी में भिगोया जाता है. वहीं, अगर कलमों से इसकी खेती करनी है, तो स्वस्थ शाखाओं को काटकर 20 से 25 सेंटीमीटर लंबा बनाकर जमीन में लगाया जाता है.

फालसा लगाने का सबसे उपयुक्त समय मानसून का मौसम यानी जुलाई-अगस्त का महीना माना जाता है. किसानों को इसे खेत में लगाने से लगभग एक महीने पहले 60x60x60 सेंटीमीटर गड्ढे खोदकर उसमें गीली गोबर की खाद और मिट्टी का मिश्रण भर देना चाहिए. इसके बाद लगभग 3×2 या 3×1.5 मीटर (पंक्ति x पौधा) की दूरी पर पौधे लगाएं. पौधे लगाने के बाद मिट्टी में पौधों की स्थिरता बनाए रखने के लिए सिंचाई करनी चाहिए.

खाद और उर्वरक प्रबंधन

फालसा की खेती बिना खाद और उर्वरकों के भी की जा सकती है, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए खेतों में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. खेतों की उर्वरता बनाए रखने के लिए किसानों को हर साल 10 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए. इसके अलावा, हर साल प्रति झाड़ी में 100 ग्राम नाइट्रोजन, 40 ग्राम फॉस्फोरस और 40 ग्राम पोटाश खेतों को देना चाहिए.