Parijat Flowers: लखनऊ शहर के अलीगंज स्थित सबसे प्राचीन हनुमान मंदिर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां मौजूद नौ साल पुराने पारिजात के पेड़ पर बेमौसम यानी समय से पहले फूल खिलना शुरू हो गए हैं. आमतौर पर पारिजात के पेड़ों पर दिसंबर में फूल आने शुरू होते हैं, लेकिन इस मंदिर में फूल जुलाई में ही खिलने लगे हैं. अब ये बात लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बन गई है.
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मंदिर समिति के सचिव राजेश पांडेय का कहना है कि वैज्ञानिक भी बेमौसम पारिजात के फूल आने से हैरान हैं. मंदिर समिति का मानना है कि इस पेड़ के पास ही एक तालाब है और आने वाला हर श्रद्धालु पारिजात के पौधे को जल भी अर्पित करता है. अच्छी देखभाल के कारण ही पारिजात के पेड़ पर समय से पहले फूल आ गए हैं. ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान ये फूल निकला था. समिति का मानना है कि ये बजरंगबली की कृपा है कि लोगों को ये फूल असमय देखने को मिल रहा है.
रात 9 बजे खिलते हैं फूल (Flowers Bloom at 9 PM)
ये फूल रात के 9 बजे से खिलना शुरू होते हैं. पारिजात के फूल सफेद रंग के होते हैं, लेकिन सुबह सूर्य की पहली किरण लगते ही ये सुनहरे हो जाते हैं. इसके बाद सुबह 10 बजे से ये मुरझाना शुरू हो जाते हैं और शाम तक झड़ जाते हैं. इस दुर्लभ नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं और इसे देखकर खुश हो रहे हैं.
पारिजात का इतिहास (History of Parijat)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पारिजात का पेड़ समुद्र मंथन के दौरान निकला था जिसे इंद्रदेव ने अपने स्वर्गलोक के बगीचे में लगाया था. इस पेड़ और फूलों का विस्तृत वर्णन हरिवंश पुराण में मिलता है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, पारिजात का पेड़ स्वर्ग से लाकर पृथ्वी पर लगाया गया था. एक बार नरकासुर वध के बाद श्रीकृष्ण स्वर्ग गए थे वहां इंद्रदेव ने उन्हें पारिजात का फूल भेंट किया था. श्रीकृष्ण ने वो फूल माता रुक्मणी को दे दिया था. वहीं दूसरी ओर देवमाता अदिति ने सत्यभामा को देवलोक से अमरत्व का वरदान दिया था. फिर नारद जी आकर सत्यभामा को पारिजात के फूल के बारे में बताया कि उस फूल के प्रभाव से माता रुक्मणी को भी अमरत्व प्राप्त हो गया है. ये जानकर सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात का पेड़ लाने की जिद करने लगीं.
पूजा में होते हैं इस्तेमाल (Used in Worship)
पारिजात के फूल खासतौर पर लक्ष्मी पूजा में इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन सिर्फ वही फूल इस्तेमाल किए जाते हैं, जो पेड़ से खुद टूटकर गिरते हैं.