Papita ki kheti: पपीता की खेती कर किसानो की खुल जायेगी किस्मत, देखे पूरी डिटेल्स, परंपरागत खेती के अलावा अब ज़्यादातर भारतीय किसान नई-नई चीज़ों को अपना रहे हैं और इनमें सफल भी हो रहे हैं. कम समय में अच्छी कमाई के लिए फलों की खेती ज़्यादा पसंद की जा रही है, जिससे अच्छी मुनाफा भी हो रहा है. देश के ज़्यादातर हिस्सों में किसान पपीता उगाते हैं. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, जम्मू और कश्मीर, उत्तरांचल, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और मिजोरम में पपीता की खेती बहुत अच्छी होती है. पपीता की बाज़ार में हमेशा मांग रहती है क्योंकि यह कई तरह की बीमारियों से लड़ने वाली रामबाण औषधि है. डॉक्टर भी कई बीमारियों में पपीता खाने की सलाह देते हैं.
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उचित मिट्टी और जलवायु
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पपीता की खेती पूरे 12 महीने की जा सकती है. इसकी खेती के लिए 38 से 44 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है. वहीं, लू और पाला इसकी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. पपीता की खेती के लिए 6.5 से 7.5 के pH मान वाली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. पपीता के साथ में दलहनी फसलें भी लगा सकते हैं, जिनमें मटर, मेथी, चना, फ्रेंच बीन्स और सोयाबीन आदि शामिल हैं.
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बुवाई की विधि
पपीता की खेती करने के लिए किसानों को इसकी पौध तैयार करनी होती है. इसके लिए किसानों को 500 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की ज़रूरत होती है. पौधा नर्सरी में अच्छी तरह से बढ़ने के बाद इसे खेतों में लगाया जाता है. किसान खेत में इसके पौधे को एक-दूसरे से एक फुट की दूरी पर लगाएं, इससे पैदावार बढ़ती है. नर्सरी में ही इसके पौधों का फफूंदनाशक से उपचार कर लेना चाहिए.
कब करें कटाई?
पौधा लगाने के बाद, जब पेड़ पूरा बड़ा हो जाए और उसका फल पूरी तरह से पक जाए और फल का ऊपरी हिस्सा पीला होने लगे, तो इसकी कटाई कर ली जाती है. किसानों को पपीता के फलों को डंठल सहित तोड़ना चाहिए. कटाई के बाद आप इसके फलों को अलग कर दें और सड़े हुए फलों को हटा दें.