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Pandhurna News : अंबेडकर टिप्पणी विवाद, BJP पार्षद पर केस, बौद्ध समाज का विरोध तेज

Pandhurna News पांढुर्णा में संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर पर की गई कथित विवादित टिप्पणी ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। जवाहर वार्ड के बीजेपी पार्षद दुर्गेश उईके के खिलाफ बौद्ध समाज के लोगों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए थाने का घेराव किया, जिसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इस पूरे घटनाक्रम ने शहर में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गर्मा दिया है।

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मामला तब शुरू हुआ जब पार्षद द्वारा फेसबुक पर डाले गए एक पोस्ट को बौद्ध अनुयायियों ने अपमानजनक और भड़काऊ बताया। इसके विरोध में सोमवार को बड़ी संख्या में लोग पुलिस थाने पहुंचे और पार्षद पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की। शिकायतकर्ता सिद्धार्थ बागड़े की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने तुरंत प्रकरण दर्ज किया।

थाना प्रभारी अजय मरकाम ने बताया कि पार्षद दुर्गेश उईके के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 299 के तहत एफआईआर की गई है। साथ ही मामला सोशल मीडिया से जुड़ा होने के कारण आगे की जांच साइबर सेल को सौंपी गई है। पुलिस टीम यह जांच करेगी कि पोस्ट की सत्यता, प्रसार और उद्देश्य क्या थे।

बौद्ध समाज के लोगों—जिनमें डॉ. विश्वनाथ बागड़े, सिद्धार्थ बागड़े, प्रतिभा मेश्राम, विनोद गजभिए, सोनू बागड़े और पूर्णिमा गोंदे शामिल थे—ने बताया कि पार्षद ने सोशल मीडिया पर डॉ. अंबेडकर की एक पुरानी घटना का संदर्भ देते हुए आपत्तिजनक बयान पोस्ट किया था। उनका कहना है कि इस पोस्ट ने समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और यह सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला है।

विवादित पोस्ट में दावा किया गया था कि “2 सितंबर 1953 को राज्यसभा में डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि मैं संविधान सभा में भाड़े का टट्टू था… मुझे मौका मिले तो इस संविधान को आग लगा दूं।” बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि यह बयान मनगढ़ंत है और इसे फैलाकर समाज को भड़काने की कोशिश की गई।

विरोध प्रदर्शन के दौरान बौद्ध समुदाय ने जोर देकर कहा कि ऐसे बयानों पर रोक लगनी चाहिए ताकि सोशल मीडिया का दुरुपयोग ना हो। वहीं पुलिस ने आश्वासन दिया है कि निष्पक्ष जांच होगी और तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी के बीच संतुलन की फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया है। फिलहाल जांच जारी है और आगे की कार्रवाई साइबर टीम की रिपोर्ट के बाद तय होगी।

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Kunal

विश्लेषक के तौर पर, कुणाल लगभग आठ वर्षों से देश भर की ख़बरों पर पैनी नज़र बनाए हुए हैं। वह हर घटना का गहन अध्ययन करते हैं, ताकि उसके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों को उजागर किया जा सके।

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