Burans flower: पहाड़ों का अनमोल रत्न कहलाता है बुरांस का फूल, बिना खेती करें होंगी बम्फर कमाई…ऊंचे पहाड़ों पर, खासकर हिमालयी क्षेत्र में एक खास फूल खिलता है – बुरांस ये जंगली फूल है, जिसकी उपयोगिता गर्मियों में खासतौर पर बढ़ जाती है. लोग इसका जूस और स्क्वैश पीना पसंद करते हैं. औषधीय गुणों का खजाना माना जाने वाला ये फूल, आमदनी का जरिया भी बन गया है. हालांकि इसकी खेती नहीं की जा सकती. आइए आज पहाड़ों पर खिलने वाले बुरांस फूल के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं.
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बुरांस जंगली फूल से बनता है लाजवाब जूस
बुरांस का फूल प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगता है. इसका इस्तेमाल जूस और स्क्वैश बनाने में किया जाता है. ऊंचाई पर उगने वाले इस फूल की कई प्रजातियां होती हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है. गर्मी बढ़ने के साथ ही ठंडे पेय पदार्थों में लोगों को बुरांस का जूस और स्क्वैश काफी पसंद आ रहा है.
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औषधीय गुणों से भरपूर है बुरांस
सिर्फ पेय पदार्थ के रूप में ही नहीं बल्कि बुरांस कई औषधीय गुणों से भी संपन्न है. इसे कई बीमारियों के इलाज में फायदेमंद माना जाता है. यहां तकी कि कैंसर जैसी बीमारी के उपचार में भी बूरांश का इस्तेमाल किया जाता है.
ग्रामीणों को मिल रहा रोजगार
हिमालयन मेडिकल प्लांट रिसर्च इंस्टिट्यूट (एचपीएमसी) ने इस साल स्थानीय स्वयं सहायता समूहों से 20 हजार लीटर बुरांस का जूस और स्क्वैश खरीदा है. जंगलों में उगने वाले इस फूल की वजह से कई ग्रामीणों को फूल इकट्ठा करके स्वरोजगार मिल रहा है. बाजार में बुरांस से बने एक लीटर स्क्वैश की कीमत 300 रुपये से भी ज्यादा है. गौर करने वाली बात ये है कि बुरांस का स्क्वैश बनाने में सीमित मात्रा में ही शहद का इस्तेमाल किया जाता है.
खेती करना मुश्किल क्यों है?
बुरांस जहां ग्रामीणों के लिए रोजगार का जरिया बन रहा है, वहीं इसके औषधीय गुणों के कारण इसकी मांग भी बढ़ती जा रही है. लेकिन बावजूद इसके बुरांस की खेती करना संभव नहीं है. हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ विनोद कुमार का कहना है कि बुरांस का पौधा बहुत धीमी गति से बढ़ता है. पौधे को फूल आने में तकरीबन 40 साल लग सकते हैं. ये पौधा साल में सिर्फ 5 सेंटीमीटर के करीब ही बढ़ पाता है. इसे उगने के लिए विशेष वातावरण की जरूरत होती है और बीजों से इसे उगाना मुश्किल है. इसी वजह से बुरांस की खेती करना संभव नहीं है