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मुंग की खेती कर किसान बढ़ा सकते है मुनाफा, जाने बुवाई से लेकर फसल की कटाई तक का प्रोसेस, बढ़िया उत्पादन के लिए ये तरीका अपनाए

दलहनी फसलों में मूंग का अपना एक विशिष्ट स्थान है। मध्यप्रदेश में मूंग ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है। मूंग की फसल को खरीफ, रबी एवं जायद तीनों मौसम में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। मूंग कि खेती यदि सही तरीके से इसकी खेती जाए तो इससे काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। तो आइये जानते है मूंग कि खेती करने का तरीका।

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मूंग कि खेती के लिए उपयुक्त भूमि

मूंग की खेती हेतु दोमट से बलुअर दोमट भूमियाँ जिनका पी. एच. 7.0 से 7.5 हो, इसके लिए उत्तम हैं। खेत में जल निकास उत्तम होना चाहिये।

मूंग कि खेती के लिए जलवायु

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मूंग के लिए नम एंव गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती वर्षा ऋतु में की जा सकती है। इसकी वृद्धि एवं विकास के लिए 25-32 °C ता पमान अनुकूल पाया गया हैं। मूंग के लिए 75-90 से.मी.वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रउपयुक्त पाये गये है।

खेत की तैयारी

दो या तीन बार हल या बखर से जुताई कर खेत अच्छी तरह तैयार करना चाहिए तथा पाटा चलाकर खेत को समतल बना लेना चाहिए। दीमक से बचाव के लिए क्लोरोपायरीफॉस चूर्ण 20 किग्रा प्रति हेक्टर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिलाना चाहिए।

बीज की मात्रा

उन्नत किस्म का बीज बोने से अधिक पैदावार मिलती है। प्रति हेक्टर 25-30 किलो बीज की बुवाई के लिए पर्याप्त होगा ताकि पौधों की संख्या 4 से 4.5 लाख तक हो सके।

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बुवाई का समय और तरीका

मूंग की बुवाई 15 जुलाई तक कर देनी चाहिए। देरी से वर्षा होने पर शीघ्र पकने वाली किस्म की वुबाई 30 जुलाई तक की जा सकती है। सीडड्रिल की सहायता से कतारों में बुवाई करें। कतारों के बीच की दूरी 30-45 से.मी. रखते हुए 3 से 5 से.मी. गहराई पर बीज बोना चाहिए। वहीं पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखना उचित रहता है। ध्यान रहे मूंग के बीज उत्पादन का प्रक्षेत्र किसी दूसरी प्रजाति के मूंग के प्रक्षेत्र से 3 मीटर दूर होना चाहिए।

सिंचाई

खरीफ की फसल में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। परंतु फूल आने की अवस्था पर सूखे की स्थिति में सिंचाई करने से उपज में काफी बढ़ोतरी होती है। सिंचाई के लिये उन्नत तकनीकों फब्बारा या रेनगन का प्रयोग किया जा सकता है।

फसल की कटाई

मूंग की फलियों जब काली परने लगे तथा सुख जाये तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए I अधिक सूखने पर फलियों चिटकने का डर रहता है I फलियों से बीज को थ्रेसर द्वारा या डंडे द्वारा अलग कर लिए जाता है I

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