Homeउन्नत खेतीलीची की बम्पर पैदावार के लिए करें इस प्रकार खेती, फलों का...

लीची की बम्पर पैदावार के लिए करें इस प्रकार खेती, फलों का आकार होगा बड़ा और रस से भरपुर

सरकार बागवानी को प्रोत्साहित कर रही है ताकि किसानों को खेती में नुकसान न हो बल्कि उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके। आज हम बात कर रहें है लीची की खेती के बारे में। लीची की खेती भारत में कई जगहों पर की जाती है। ये बहुुत ही रसीला फल होता है। लीची उत्पादन में भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है। यह विटामिन सी और विटामिन बी कंपलैक्स का महत्तवपूर्ण स्त्रोत है। भारत में इसकी खेती सिर्फ जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में होती है परंतु बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी खेती अब बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पंजाब, हरियाणा, उत्तरांचल, आसाम और त्रिपुरा और पश्चिमी बंगाल में भी की जाने लगी है। आइये जानते है लीची की खेती कैसे की जाती है।

ये भी पढ़े – मुंग की खेती कर किसान बढ़ा सकते है मुनाफा, जाने बुवाई से लेकर फसल की कटाई तक का प्रोसेस, बढ़िया उत्पादन के लिए ये तरीका अपनाए

लीची की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

इसे मिट्टी की अलग अलग किस्मों में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी की पी एच 7.5 से 8 के बीच में होनी चाहिए।। लीची की खेती हल्की अम्लीय एवं लेटराइट मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। जनवरी-फरवरी माह में मौसम साफ रहने पर जब तापमान में वृद्धि एवं शुष्क जलवायु में इसकी खेती की जाती है।

litchi 1

लीची की उन्नत किस्में

लीची की उन्नत किस्मों में मंडराजी,स्वर्गीय बेदाना,डी-रोज,अर्ली बेदाना, स्वर्ण, चाइना, पूर्वी, कसबा, शाही, त्रिकोलिया, अझौली, ग्रीन, देशी,रोज सुगंधित आदि उन्नत किस्में हैं।

खेत की तैयारी

खेत की दो बार तिरछी जोताई करें और फिर समतल करें। खेत को इस तरह तैयार करें कि उसमें पानी ना खड़ा रहे।

पौधों की रोपाई

इसकी बिजाई मॉनसून के तुरंत बाद अगस्त सितंबर के महीने में की जाती है। इसकी बिजाई के लिए दो साल पुराने पौधे चुने जाते हैं। बिजाई के लिए वर्गाकार ढंग के लिए पंक्ति से पंक्ति का फासला 8-10 मीटर और पौधे से पौधे का फासला 8-10 मीटर रखा जाता है। लीची के पौध की रोपाई से पहले अप्रैल-मई माह में खेत में 90x 90x 90 सें.मी. आकार के गड्ढे तैयार कर लेने चाहिए। इन गड्ढों को 20-25 किलोग्राम गली सड़ी हुई की खाद के साथ भर दें। जब ये मिट्टी बारिश से कुछ दब जाये तो इसमें पौधे रोप देना चाहिए।

ये भी पढ़े – गेहूं की ये उन्नत किस्में लगाकर किसान हो सकते हैं मालामाल, नहीं लगेंगी बीमरियाँ और उत्पादन होगा जबर्दस्त

litci 2

पौधों की कटाई

शुरूआती समय में पौधे को अच्छा आकार देने के लिए कटाई करनी जरूरी होती है। लीची के पौधों के लिए छंटाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती। फलों की कटाई के बाद नई टहनियां लाने के लिए हल्की छंटाई करें।

सिंचाई

पौधों को शुरुआती समय में पानी की काफी जरूरी होती है। गर्मियों में नए पौधों को 1 सप्ताह में 2 बार और पुराने पौधों को सप्ताह में 1 बार पानी देना चाहिए। फल बनने के समय सिंचाई बहुत ज़रूरी होती है। इस पड़ाव पर सप्ताह में 2 बार पानी दें। इस तरह करने से फल में दरारें नहीं आती और फल का विकास अच्छा होता है।

फसल की कटाई

फल का हरे रंग से गुलाबी रंग का होना और फल की सतह का समतल होना, फल पकने की निशानियां हैं। फल को गुच्छों में तोड़ा जाता है। फल को टहनियां और पत्ते के साथ तोड़ना चाहिए ताकि फल को ज्यादा लंबे समय तक स्टोर किया जा सके।

RELATED ARTICLES