भारत में उगाये जा रहे विदेशी फलों में कीवी का काफी नाम है, जिसके फायदों से देश हर कोई वाकिफ है। भारत में कीवी की खेती व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण खेती है। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर कीवी में विटामिन सी, विटामिन ई, फाइबर, पोटेशियम, कॉपर और सोडियम जैसे गुण पाये जाते हैं, जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है। बीमारियों के बढ़ते दौर में इस फल की मांग भी काफी बढ़ गई है। यही कारण है कि ऊंचे दाम होने के बावजूद बाजार में ये फल फटाफट बिक जाता है। इसकी बढ़ती मांग के कारण भारत में भी इसकी बागवानी का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। भारत में कीवी की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, केरल, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और मेघालय हैं। बाज़ार में कीवी के फल की अच्छी कीमत मिलने के कारण इसकी खेती करने वाले किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आइये जानते हैं कीवी की खेती करने की पूरी प्रोसेस।
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कीवी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
कीवी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। जिसका पीएच मान 5 से 6 के बीच में हो। कीवी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि होनी चाहिए। जैविक और कार्बनिक खाद युक्त मिट्टी कीवी की खेती के लिए काफी लाभदायक होता है। कीवी की खेती करने के लिए कम तापमान वाली जगह की जरूरत होती है। ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रों में कीवी की खेती करना संभव नहीं है। इस फसल के लिए उपयुक्त तापमान 30 डिग्री से कम का है। जहां ज्यादातर ठंड का मौसम रहता है उस क्षेत्र में इस फल का सफल उत्पादन किया जा सकता है।
खेत की तैयारी और पौध रोपाई
कीवी की खेती के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखा जाना बेहद जरूरी होता है। कीवी की खेती के लिए तैयारी 2 महीने पहले से कर लेनी चाहिए। मिट्टी पलटने वाले हलो से खेत की गहरी जुताई कर दे। जुताई के बाद खेत में पानी लगा दे। पानी लगाने के कुछ समय पश्चात् खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है। इसके बाद खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दिया जाता है। कीवी के पोधों की रोपाई के लिए समतल भूमि में एक मीटर चौड़े और दो फीट गहरे गड्डे तैयार कर लिए जाते है। यह सभी गड्डे पंक्तियों में तैयार किये जाते है। जिसमे प्रत्येक पंक्ति के मध्य 4 मीटर की दूरी तथा हर गड्डे के मध्य 5 से 7 मीटर की दूरी रखी जाती है। कीवी की पौध 3 विधियों से तैयार की जाती है- बडिंग विधि, ग्राफ्टिंग और लेयरिंग विधि। कीवी के पौधों की पंक्ति को उत्तर से दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए, जिससे कि पौधों पर धूप सीधे न पड़े।
खेत की सिंचाई
कीवी के पौधों को गर्मियों में पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती है। इसकी प्रारंभिक सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है। इस दौरान हर 10 से 15 दिन के अंतर पर सिचाई की जानी चाहिए। वहीं सर्दियों में भी जरूरत के हिसाब से सिचाई करनी चाहिए। एक वर्ष में इसके पौधों को 18 से 20 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
फलों की तुड़ाई
कीवी के पेड़ शुरुआत के 2-3 वर्षों में फल नहीं देते,कीवी के पेड़ में 5 वर्ष के बाद फल लगने की शुरुआत होती है। 10 वर्ष बाद कीवी के पेड़ अच्छी संख्या में फल देना शुरू कर देते हैं। एक पेड़ औसतन 40-60 किलो कीवी फल का उत्पादन करता है। अक्टूबर से नवम्बर में आप फल पकने के बाद इसकी तुड़ाई कर सकते हैं। इसे तोड़कर 4 माह तक ठंडे जगह पर सुरक्षित रखा जा सकता है।
कीवी की खेती में लागत और मुनाफा
एक एकड़ कीवी की फसल में 3-4 लाख की लागत आती है। कीवी की खेती से कमाई, खर्च निकालकर 10-12 लाख का मुनाफा हो जाता है। औषधीय गुणों के कारण इसकी मांग बाजार में बहुत ज्यादा है। हालांकि इसकी खेती में होने वाला मुनाफा फल की क्वालिटी पर निर्भर करता है।