शलजम की खेती कर कम समय में होगा तगड़ा मुनाफा, जाने खेती के बारे में पूरी जानकारी

By Shweta Gawande

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शलजम की खेती कर कम समय में होगा तगड़ा मुनाफा, जाने खेती के बारे में पूरी जानकारी

किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी खेती की और अपना रुख कर रहे है। जिससे की किसानों को कम लागत में मोटा मुनाफा तो होता हीं है. साथ हीं किसानों का समय भी बच जाता है। अगर आप भी ऐसी ही खेती करने के बारे में सोच रहे है। जिससे की कम समय और कम खर्चे में अधिक कमाई कर सके। तो शलजम की खेती आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। आइये जानते है शलजम की खेती के बारे में पूरी जानकारी।

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शलजम की खेती के लिए उपयुक्त मिटटी और खेत की तैयारी

शलजम की खेती करने के बारे में प्लान कर रहे है तो इसकी खेती करने के लिए सबसे जरुरी इसकी उचित मिटटी का चुनाव करना जरुरी होता है। आपकी जनकरी के लिए बता दे की शलजम को विभिन्न जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है, लेकिन ठंडे मौसम इनके लिए उपयुक्त माना जाता है। शलजम के लिए 10°C से 24°C के बीच का तापमान उपयुक्त होता है। और इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी सबसे सही होती है। इसकी खेती के लिए तटस्थ मिट्टी की तुलना में थोड़ी अम्लीय मिट्टी उपयुक्त होती है। इसके आलावा शलजम को प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे सूरज की रोशनी की जरूरत होती है। जिससे की पौधा अच्छे से वृद्धि कर सके। आपको बता दे की इसकी खेती करने के लिए रोपण क्षेत्र से खरपतवार और मलबे को साफ करना पड़ता है। मिट्टी को लगभग 6-8 इंच की गहराई तक जुताई कर ले। मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए खाद जैसे कार्बनिक पदार्थ का इस्तेमाल करें।

शलजम की बुवाई का सही तरीका और उचित समय

इसकी खेती के लिए इसके बीज सीधे तैयार मिट्टी में बो दिए जाते है। और इसकी खेती करने के लिए गहराई लगभग 1/4 इंच से 1/2 इंच सही मानी जाती है। 12-18 इंच की पंक्तियों में बीज को लगभग 2 इंच की दूरी पर रखना चाहिए। इस तरह से आप शलजम की बुवाई आसानी से कर सकते है और अगर हम इसकी बुवाई के बारे में बात करे तो आपको बता दे की इसके लिए मिट्टी को लगातार नम रखना चाहिए लेकिन ध्यान रहे की इसमें जलभराव नहीं होने देना चाहिए। शलजम की बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई कर देना चाहिए। मिटटी के प्रकार और जलवायु के आधार पर गर्मी में 5-6 दिन में और सर्दी के मौसम में 10-12 दिन के अंतराल में सिंचाई कर देना उचित होता है। शलजम को कड़वा होने से बचाने के लिए सूखे के दौरान पानी देना जरुरी होता है।

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इतने समय में तैयार होती है शलजम की फसल

आपको बता दे की किस्म के आधार पर आमतौर पर देखा जाये तो शलगम की फसल बुवाई के बाद 50 से 60 दिनों में बनकर तैयार हो जाते हैं। और ध्यान रहे की इस फसल की खुदाई समय पर कर लेना चाहिए। क्योकि खुदाई में देरी होने के कारण इसकी फल रेशेदार होने लग जाती हैं। फसल की खुदाई के बाद शलगम की फसल को पानी से धोया जाता है। उन्हें टोकरी में भरा जाता है और फिर बेचने के लिए मंडी में भेज दिया जाता है। इसके फलों को ठंडे और नमी वाले हालातों में 2 से 3 दिन के लिए 8 से 15 सप्ताह के लिए स्टोर करके रखना हो तो उन्हें रखा जा सकते है।

शलजम की खेती में कितना लगेगी लागत और कितनी होगी कमाई

यदि हम इसकी खेती में होने वाली कमाई के बारे में बताये तो आपको बता दे की यदि आप शलजम की खेती एक हेक्टेयर में करते है तो आपको लगभग 200 से 250 क्विंटल की उपज आसानी से प्राप्त हो जाती है। और भारतीय बाजार या मंडी में शलगम का भाव लगभग 2500 से 3000 रुपए/ प्रति क्विंटल तक होता है। इसका मतलब किसान भाई शलजम की खेती करके आसानी से 5 से 6 लाख रूपए की तगड़ी कमाई कर सकते है।