Saturday, September 23, 2023
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खेत में लगे पेड़ों के नीचे की ख़ाली पड़ी ज़मीन का ऐसे करे इस्तेमाल,इसकी खेती से होगी पुरे साल कमाई

खेत में लगे पेड़ों के नीचे की ख़ाली पड़ी ज़मीन का ऐसे करे इस्तेमाल,इसकी खेती से होगी पुरे साल कमाई ,आपने अगर अपने खेतों में महुआ या आम जैसे पेड़ लगा रखे है और उनके नीचे की जमीन खली पड़ी है तो आप उसको भी उपयोग में ला सकते और मोती कमाई कर सकते है। यह एक नई तकनीक है जिसमे आप अपने कहते या बागानों में लगे पेड़ो के नीचे की खली ज़मीन से भी पैसा कमा सकते है। आप इस जगह पर हल्दी की खेती हल्दी की खेती (Turmeric Cultivation) कर सकते है यह बेहद कम लागत में पुरे साल उगने वाली फसल है।

भारत में हल्दी इस्तेमाल मसालों के साथ-साथ हर्बल दवाईयां और कॉस्मेटिक बनाने में किया जाता है. यही कारण है कि भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. साथ ही कुछ किसान हल्दी को सह-फसल के रूप में भी उगाते हैं. फिल्हाल मानसून की सीजन चल रहा है, जहां बारिश के बीच हल्दी की बुवाई करना लाभकारी माना जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो मई-जुलाई के बीच मेड़ बनाकर हल्दी की खेती करके डबल उत्पादन लिया जा सकता है.

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हल्दी की खेती के लिए बीजों का चयन

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हल्दी की अच्छी फसल के खेतों में जल निकासी की व्यवस्था कर लें, जिससे खेत में जल भराव से फसल को नुकसान न हो पाये. हल्दी की बुवाई के लिये पहले उसके कंद में अंकुरण कर लें और फसल के थोड़ा पकने पर मिट्टी चढ़ाने का काम कर लें. वैसे तो हल्दी की फसल में नमी बनाये रखना पहुंच जरूरी है, लेकिन फलों के बागों में पेड़ की छाया के बीच इसकी खेती करने पर ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती.

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हल्दी की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिये जरूरी है कि उन्नत किस्म के बीजों का ही चुनाव करें, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना न रहे. अकसर देखा जाता है कि कमजोर बीजों से बुवाई करने पर फसल कमजोर होती है और बाजार में उसकी सही भाव नहीं मिलता. इसलिये बीजों की खरीद के वक्त सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. किसान चाहें तो हल्दी के बीज किसी रजिस्टर्ड सेलर से ऑनालाइन मंगवा सकते हैं या बीज भंडार से जांच-परखकर अच्छी कंपनी के बीज खरीद सकते हैं. खेत या बाग में हल्दी की खेती के लिये कम से कम 20 क्विंटल बीज प्रति हेक्टेयर बीजदर की जरूरत होती है.

पेड़ों के नीचे करें हल्दी की खेती

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मध्यप्रदेश के किसान यूनुस ख़ान ने मिश्रित खेती यानी Mixed Cropping की ट्रेनिंग ली। इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और मार्गदर्शन पर उन्होंने अपने फ़ार्म में आम और महुआ के पेड़ों के नीचे हल्दी की खेती शुरू कर दी। उन्होंने हल्दी की किस्म सुरोमा लगाई। पेड़ों के नीचे की मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से युक्त थी, जो हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त थी। पहले साल 11 हज़ार के निवेश के साथ उन्हें करीब 78 हज़ार का मुनाफ़ा हुआ। साल दर साल उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होती चली गई। उन्होंने खेती से निकलने वाले कचरे को भी रीसाइकल कर खेती की लागत को कम किया। भूमि का सही इस्तेमाल करने से लेकर पानी का सदुपयोग, वर्मीकम्पोस्ट यूनिट और बायोगैस यूनिट, उनके फ़ार्मिंग मॉडल का मुख्य आकर्षण हैं।

हल्दी की खेती की लागत और आमदनी

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विशेषज्ञों की मानें तो एक हैक्टेयर जमीन पर हल्दी उगाने पर 1 लाख रुपये तक की लागत आ जाती है, जिसमें बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई और श्रम आदि की व्यवस्था शामिल होती है. इसमें 1 हैक्टेयर खेत के लिये 20 क्विंटल बीज की जरूरी है, जो बाजार में 25 रुपये किलो के भाव से मिल जाते हैं. इस तरह बीजों की लागत 40,000 रुपये के आसपास हो जाती है. हल्दी के 20 क्विंटल बीजों की बुवाई करके 7-8 महीने में ही 200-250 क्विंटल तक हल्दी का उत्पादन कर सकते हैं. दूसरी तरफ बाजार में हल्दी को 80 रुपये किलो के भाव पर बेचा जाता है. इस तरह हल्दी की पहली उपज से ही किसान 4-5 लाख रुपये की आमदनी कमा सकते हैं.

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हल्दी की खेती से साल भर कमाई

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फसलों से अधिक उत्पादन लेने के लिये किसान फसल में रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे मिट्टी के साथ-साथ उपज की क्वालिटी भी खराब हो सकती है. इसलिये किसानों को औषधीय फसलों और मसालों की जैविक खेती करने की सलाह दी जाती है, जिससे आम हल्दी के मुकाबले जैविक हल्दी को दोगुना दाम मिल जायें और खेतों में मिट्टी का उपजाऊ स्तर भी कायम रहे. जैविक तरीके से हल्दी की खेती करने पर किसानों को अच्छा मुनाफा मिल जाता है, क्योंकि देश के साथ विदेशों में भी जैविक हल्दी की काफी मांग रहती है.

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