देश में किसानों को मांग के हिसाब से खेती करने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जाता है। आज ऐसी ही एक फल की खेती के बात करने जा रहे जिससे किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं जो है केले की खेती।केला हमारी सेहत के लिए फायदेमंद फलों में से एक है। यदि केले की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। तो आइये जानते हैं केले की खेती करने का उन्नत तरीका।
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केले की खेती के लिए उपयुक्त भूमि और जलवायु
इसे मिट्टी की विभिन्न किस्मों हल्की से उच्च पोषक तत्वों वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए चिकनी बलुई मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इसके लिए भूमि का पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए। केला उगाने के लिए, अच्छे निकास वाली, पर्याप्त उपजाऊ और नमी की क्षमता वाली मिट्टी का चयन करें। केला एक उष्ण कटिबंधीय फसल है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में केले की खेती अच्छी रहती है।
केले की खेती के लिए उन्नत किस्में
केले की उन्नत किस्में बसराई, ड्वार्फ,मालभोग, चिनिया, चम्पा, हरी छाल, सालभोग,अल्पान तथा पुवन इत्यादि प्रजातियां भी अच्छी मानी जाती हैं। सिंघापुरी के रोबेस्टा नस्ल के केले को खेती के लिए बेहतर माना जाता है।
खेत की तैयारी
समतल खेत को लगभग चार-पांच बार गहरी जुताई करके पाटा लगा कर भुरभुरा बना लेना चाहिए। ऐसा करने के बाद समतल खेत में लाइनों में गड्ढे तैयार करके रोपाई की जाती है। केले की पौध का रोपण करने के लिए 45 x 45 x 45 सेमी के आकार के गड्ढे की आवश्यकता होती है। तैयार गड्ढों को खुला छोड़ देना चाहिए ताकि अच्छे से धूप लग जाए। गोबर या कम्पोस्ट की सड़ी खाद गड्ढों में दाल दे, उपरोक्त पदार्थो को गड्ढे की ऊपर की मिट्टी में मिश्रित करके जमीन की सतह से लगभग 10 सें.मी. ऊँचाई तक भरकर सिंचाई कर देनी चाहिए जिससे मिट्टी मिश्रण गड्ढे में अच्छी तरह बैठ जाए।
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पौधों की रोपाई
इसका रोपण 15-30 जून तक किया जाता है। रोपाई करते समय केले पौधे की जड़ीय गेंद को छेड़े बगैर उससे पॉलीबैग को अलग किया जाता है तथा उसके बाद छह तने को भू-स्तर से 2 सें.मी. नीचे रखते हुए पौधों को गड्ढ़ों में रोपा जा सकता है। गहरे रोपण से बचना चाहिए।
सिंचाई
सामान्यतया बरसात में (जुलाई-सितम्बर) सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। गर्मी के समय 15 से 20 दिन के अंतराल पर, जबकि ठंडी के समय 25 से 30 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना जरूरी होता है। सिंचाई छिड़काव विधि से किया जाना ही उत्तम होता है। खरपतवार नियंत्रण हेतु खरपतवार नाशक जैसे-ग्लायसेल, पैराक्वाट आदि का उपयोग किया जा सकता हैं। प्रत्येक गुड़ाई के बाद मिट्टी चढ़ाने का कार्य किया जाना चाहिए।
केले की फसल
रोपाई के बाद फसल 11-12 महीनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। मार्किट की आवश्यकताओं के अनुसार केले के पूरी तरह पक जाने पर तुड़ाई करें। एक बीघे केले की खेती करने में करीब 50,000 रुपए लागत आती है। इसमें दो लाख रुपए तक की आसानी से बचत हो जाती है। बता दें कि यदि उचित साधनों का प्रयोग करके इसकी खेती की जाए तो केले के एक पौधे से करीब 60 से 70 किलो तक की पैदावार हासिल की जा सकती है।