केले की जी-9 किस्म देती है बम्पर पैदावार, आंधी-तूफान में टूटकर नष्ट होने की संभावना कम रहती, होता है बम्पर मुनाफा

By दिगम्बर बर्डे

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केले की जी-9 किस्म देती है बम्पर पैदावार, आंधी-तूफान में टूटकर नष्ट होने की संभावना कम रहती, होता है बम्पर मुनाफा

केले की जी-9 किस्म देती है बम्पर पैदावार, आंधी-तूफान में टूटकर नष्ट होने की संभावना कम रहती, होता है बम्पर मुनाफा। केला भारत में बहुत मात्रा में खाया जाता है. यह मंडियों में लगभग सालभर उपलब्ध रहता है. वहीं भारत केला उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर और फलों के क्षेत्र में तीसरे नंबर पर है. भारत के अंदर आंध्र प्रदेश राज्य में केले का सबसे अधिक उत्पादन होता है. केले का उत्पादन करने वाले अन्य राज्य जैसे- महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और असम हैं. केले की खेती के लिए कई उन्नत किस्में मौजूद हैं. जिसमें से केले की जी-9 किस्म भी एक है. आइये आपको इसके किस्म के बारे में बताते है.

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जी-9 केले की उन्नत किस्म

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केले की कई ऐसी किस्में हैं जिनकी खेती कर किसान शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. उन्हीं किस्मों में से एक केले की उन्नत किस्म जी-9 भी है. केले की इस किस्म की खेती काफी लाभकारी है. अगर बात करें जी-9 किस्म का टिशू कल्चर पौध कहां मिलेगा, तो किसान भाई इस किस्म के पौध को एनएससी भुवनेश्वर द्वारा निर्मित पौध नर्सरी से मांगा सकते हैं. मालूम हो कि भुवनेश्वमर से 500 किमी की दूरी पर रहने वाले किसान 20,000 पौध की कीमत 337476 रुपये ऑनलाइन चुकता करके अपने घर आसानी से मांगा सकते हैं. यदि दूरी भुवनेश्वर से 500 किमी से अधिक है, तो अतिरिक्त टारस्पोर्टेशन लागत देना पड़ेगा.

जी-9 केले की किस्म की खासियत

बता दें कि टीशू कल्चर जी-9 किस्म का केला लैब में तैयार किया जाता है. इसके पौधे छोटे और मजबूत होते हैं. जिससे आंधी-तूफान में टूटकर नष्ट होने की संभावना कम होती है. फसल अच्छी होने के साथ गिरकर नष्ट नहीं होते. उत्पादन भी अपेक्षाकृत काफी अधिक होता है. ऐसे में आइए जानते हैं टीशू कल्चर जी-9 किस्म का पौध कहां और कैसे मिलेगा- ड्रिप सिंचाई की सुविधा हो तो पॉली हाउस में टिशू कल्चर पद्धति से केले की खेती सालभर की जा सकती है. महाराष्ट्र में इसकी रोपाई के लिए खरीफ सीजन में जून-जुलाई, जबकि रबी सीजन में अक्टूबर-नवम्बर का महीना महत्वपूर्ण माना जाता है.

केले की उन्नत किस्मे

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भारत में केले की 15 से 20 किस्मों की खेती प्रमुखता से की जाती है, जिसमें ड्वार्फ कैवेंडिश, रोवेस्टा, चिनिया चम्पा, ने पुवान, बत्तीसा, कारपुरावल्ली, नेद्रन (रजेजी), लाल केला, अल्पान और मोन्थन आदि शामिल हैं.