किसान पारंपरिक खेती को छोड़ नगदी फसल की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही नकदी फसल की खेती के बारें में बताने जा रहे है। जिसकी एक बार खेती कर कई सालों तक पैदावार ले सकतें है। यह है लौंग की खेती। लौंग एक मसाला वर्गीय फसल है। लौंग की खेती कर आप 2 से 2.5 लाख रूपये सालाना प्रति एकड़ कमा सकते है। आइये जानते है लौंग की खेती करने की पूरी प्रोसेस।
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लौंग की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
लौंग की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी की जरुरत होती हैं। इसकी खेती को जलभराव वाली भूमि में नहीं करना चाहिए। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।
लौंग की खेती के लिए जलवायु
इसकी खेती गर्म प्रदेशों में ही करना ज्यादा उपयुक्त है। लौंग के पौधों के विकास के लिए 10 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा का तापमान होना चाहिए। वहीं उसके पेड़ के वृद्धि में 30 से 35 डिग्री तक तापमान की आवश्यकता होती है। लौंग के पौधों को सामान्य वर्षा की आवश्यकता होती है तथा अधिक तेज धूप और सर्दियों में गिरने वाला पाला इसके पौधों के लिए हानिकारक होता है।
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खेत की तैयारी
सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि पहले वाली फसल के अवशेष और कीट आदि नष्ट हो जाए। खेत की जुताई के लिए किसान रोटावेटर का उपयोग कर सकते हैं। रोटावेटर की सहायता से खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद खेत को पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए।
लौंग की बुवाई
लौंग की बुवाई करने के लिए सबसे पहले उसके पके हुए फल जुटाए जाते हैं। वहीं जिस दिन इसकी बुवाई करनी है उससे एक दिन पहले इसे पानी में भिगोकर रखें। इसके बाद इसके ऊपर के छिलके को हटा दें और बुवाई की प्रक्रिया शुरू कर दें। इसकी 10 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियां में बुवाई करें। इसके अलावा पौधे के विकास के लिए जैविक खाद का उपयोग करते रहें। लौंग के बीजों से पौधों को तैयार होने में 2 वर्ष का समय लग जाता है।
सिंचाई
इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई को पौध रोपाई के तुरंत बाद कर देना चाहिए। इसके अतिरिक्त जिन पौधों की रोपाई गर्मियों के मौसम में की गई है, उन्हें सप्ताह में एक बार पानी जरूर दें। वहीं सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को 15 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए।
लौंग के फलों की तुड़ाई
लौंग के पौधे रोपाई के तकरीबन 4 से 5 वर्ष जैसे लम्बे समय बाद पैदावार देना आरम्भ करते है। लौंग के फल पौधों में गुच्छे के भांति लगते है, जो देखने में गुलाबी रंग के होते है। इसके फूलो को खिलने से पहले तोड़ लेना चाहिए। ताजी कलियाँ लालिमा लिए हुए हरी होती है। इसका फल अधिकतम 2 सेमी. लम्बा होता है, जो सूखने के बाद लौंग का रूप ले लेता है। एक बार पौधा बड़ा होने पर 2 से 3 किलोग्राम का बंपर उत्पादन देता है। वहीं बाजार में एक किलोग्राम लौंग की कीमत 800 से 1000 रुपये किलो है। ऐसे में किसान अगर लौंग की खेती करते हैं तो उन्हें शानदार मुनाफा होगा।