Kalava: हिंदू धर्म में कब और कैसे बदलें कलाई पर बंधा कलावा, जानिए

By charpesuraj5@gmail.com

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Kalava: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ या किसी भी शुभ कार्य के वक्त कलाई पर मौली या कलावा बांधा जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसे हमेशा नहीं बांधे रखना चाहिए और इसे बदलने का भी एक सही समय होता है. आइए विस्तार से जानते हैं कब और कैसे कलावा बदलना चाहिए.

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कब बदलें कलावा?

  • अक्सर हम कलावा बांधने के बाद उसे निकालना भूल जाते हैं और वो हाथ में काफी समय तक लगा रहता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बहुत ज्यादा पुराना या रंग उड़ चुका कलावा अशुभ माना जाता है. ऐसे में इसे बदल देना ही चाहिए.
  • शास्त्रों के अनुसार कलावा को सिर्फ 21 दिन के लिए ही हाथ में पहना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि आम तौर पर इतने दिनों में कलावा का रंग फीका पड़ने लगता है और रंग उड़े हुए कलावा को कभी नहीं पहनना चाहिए.
  • कलावा को हाथ से निकालते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे किसी बहते हुए नदी में प्रवाहित कर दें. ऐसा माना जाता है कि जब भी कलावा हाथ से निकाला जाता है, तो ये अपने साथ आपके और आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को भी बहाकर ले जाता है. इसलिए, इस कलावा को दोबारा नहीं पहना चाहिए.

कलावा बांधने के नियम

कलावा बांधने के भी कुछ खास नियम होते हैं, जिन्हें जानना जरूरी है. आइए जानते हैं ये नियम-

  1. कौन से हाथ में बांधें कलावा? – पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए.
  2. विवाहित महिलाओं के लिए नियम: – विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए.
  3. कलावा बांधते समय मुद्रा: – जिस हाथ में कलावा बांधा जा रहा है, उसकी मुट्ठी बंद कर लेनी चाहिए.
  4. कलावा बांधते समय दूसरा हाथ कहां रखें? – कलावा बांधते समय दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए.
  5. कितनी बार लपेटें कलावा? – कलावा जहां भी बांध रहे हों, इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि रक्षा सूत्र को सिर्फ 3 ही बार लपेटना चाहिए.