Homeउन्नत खेतीज्वार की खेती कर किसान कमा सकते हैं बेहतर मुनाफा, अच्छी फसल...

ज्वार की खेती कर किसान कमा सकते हैं बेहतर मुनाफा, अच्छी फसल के लिए इस प्रकार करें खेती

ज्वार विश्व की एक मोटे अनाज वाली महत्वपूर्ण फसल है। ज्वार भोजन और चारा के लिए सबसे अच्छी बाजरा फसल में से एक है। ज्वार का उत्पादन देश की अर्थव्यवस्था और निर्यात में अच्छी भूमिका निभाता है। ज्वार की खेती की अच्छी गुंजाइश है और इसके परिणामस्वरूप भविष्य में उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक खेती क्षेत्र हो सकते हैं। ज्वार उगाने से पशुधन के लिए पौष्टिक चारा मिलता है । भारत में महांराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तामिलनाडू, राज्यस्थान और उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से ज्वार की खेती की जाती है। तो आइये जानते है ज्वार की खेती करने की पूरी प्रोसेस।

ज्वार की खेती करने के लिए भूमि

वैसे तो ज्वार की फसल को किसी भी प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। लेकिन मटियार, दोमट या मध्यम गहरी भूमि सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5 से 7 के मध्य होना चाहिए। ज्वार की फसल सूखे क्षेत्रों में उगाई जा सकती है क्योंकि यह उच्च तापमान और सूखे की स्थिति को सहन कर सकती है। इस फसल को उगाने के लिए तापमान 15 डिग्री सेल्सियस -40 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है और इसके लिए 400 से 1000 मिमी की वार्षिक वर्षा की की जरुरत पड़ती है।

ये भी पढ़े – रबी मौसम में करें सरसों की खेती और कमाए बंपर मुनाफा, अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए पढ़े पूरी खबर

jwar 1

भूमि की तैयारी

खेत की गहरी जुताई भूमि उर्वरकता,खरपतवार एवं कीट नियंत्रण की दृष्टि से आवश्यक है। खेत को ट्रेक्टर से चलने वाले कल्टीवेटर या बैलजोडी से चलने वाले बखर से जुताई कर जमीन को अच्छी तरह भूरभूरी कर पाटा चलाकर बोनी हेतु तैयार कर लें। खेत इस तरह से तैयार करें कि यह पानी में लगे।

बुवाई

बिजाई का सही समय मध्य जून से मध्य जुलाई तक होता है। ज्वार की अच्छी फसल उत्पादन के लिए उचित बीज मात्रा के साथ उचित दूरी पर बुआई करना आवश्यक होता है।एक हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले खेत में ज्वार की बुआई के लिए 12 से 15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। ज्वार के बीजों की बुआई से पहले बीजों को उपचारित करके उन्हें बोना चाहिए। ज्वार के बीजों की बुवाई ड्रिल और छिड़काव दोनों तरीकों से की जाती है। बुआई के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर रखें और बीज को 4 से 5 सेंटीमीटर गहरा बोयें।

ये भी पढ़े – त्योहारों के सीजन में प्याज के दाम ने रुलाया, लगातार बढ़ रही कीमतें, जानिए क्या है कारण

सिंचाई

अच्छी पैदावार के लिए फूल निकलने के समय और दानों के बनने के समय सिंचाई करें। खरीफ में बारिश के अनुसार 1 से 3 बार सिंचाई की जा सकती है। रबी और गर्मी के समय आवश्यक हालातों में सिंचाई की जानी चाहिए।

jwar 2

खरपतवार नियंत्रण

ज्वार की खेती में खरपतवार नियंत्रण प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरीके से किया जाता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए इसके बीजों की रोपाई के 20 से 25 दिन बाद एक बार पौधों की गुड़ाई कर देनी चाहिए।

फसल की कटाई

बिजाई के लगभग 70 दिन बाद जब फसल चारे का रूप ले लेती है तब इसकी कटाई करनी चाहिए। इसकी कटाई का सही समय तब होता है जब दाने सख्त और नमी 25 प्रतिशत से कम हो। जब फसल पक जाये तो तुरंत कटाई कर लें। कटाई के 2-3 दिन बाद बलियों में से दाने निकालें। इसके बाद इन्हें धूप में सूखा लें।

RELATED ARTICLES