भारत में केला और आम के बाद संतरे को सबसे ज्यादा उगाया जाता है। संतरे का नींबू प्रजाति के फलों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। संतरे को वानस्पतिक रूप से सिट्रस रिटीकुलेटा के नाम से जाना जाता है। संतरा अपनी सुगंध, स्वाद व स्वास्थवर्धक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। सतरें में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके साथ-साथ इसमें विटामिन ’ए’ और ’बी’ भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहते हैं। भारत में संतरे की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में की जाती है। तो आइये जानते हैं संतरे की खेती कैसे की जाती है।
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संतरे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
संतरे की खेती लगभग सभी प्रकार की अच्छे जल निकास वाली जीवांश युक्त मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। 6.5 से 8 P.H. मान वाली भूमि संतरे की खेती के लिए उपयुक्त होती है। इसकी अच्छी खेती के लिए मिट्टी कंकरीली पथरीली व कठोर नहीं होनी चाहिए। संतरे की खेती करने के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत पड़ती है। संतरे के फलों को पकने के लिए गर्मीं की जरुरत होती है।
संतरे की खेती के लिए उन्नत किस्में
भारतीय संतरा में नागपुर संतरा सबसे अच्छा हैं एवं विश्व के संतरो में इसका स्थान प्रमुख हैं। भारत में उगाई जाने वाली किस्मों में नागपुरी संतरा, खासी संतरा, कुर्ग संतरा, पंजाब देसी, दार्जिलिंग संतरा व लाहौर लोकल आदि प्रमुख हैं।
खेत की तैयारी
संतरे का पौधा एक बार लग जाने पर कई वर्षो तक फलो की पैदावार दे देता है। संतरे की खेती करते समय खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए खेत में दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई कर लेना चाहिए। जुताई करने के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल बना लेना चाहिए ताकि पौधरोपण व सिंचाई में आसानी हो। इसके बाद समतल खेत में 15 से 18 फ़ीट की दूरी पर पंक्ति में गड्डो को तैयार कर ले। यह गड्डे आकार में एक मीटर चौड़े और गहरे होने चाहिए। गड्डो खाद-पानी डालने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ जाती हैं।
पौधे की रोपाई
संतरे की पौध नर्सरी में तैयार करने के बाद उन्हें खेत में तैयार किये गए गड्डों में लगाया जाता है। सबसे पहले गड्डों में खुरपी की सहायता से एक छोटा गड्डा तैयार कर लें। इसके बाद इन्ही गड्डो में पॉलीथिन से पौधों को निकालकर लगा देते है, और पौधों को मिट्टी से ढक दिया जाता है |
सिंचाई
संतरे की खेती में सिंचाई मौसम के हिसाब से किया जाता है, पौधरोपण के तुरंत बाद अच्छी तरह से पूरे खेत में सिंचाई करनी चाहिए। गर्मियों में सप्ताह में एक बार और ठंडियों में एक महीने के अंतराल पौधों को पानी दे। संतरे के पूर्ण विकसित पौधे को एक वर्ष में सिर्फ 4 से 5 सिंचाई की जरूरत होती है।
संतरे के फलो की तुड़ाई
संतरे के फल जनवरी से मार्च महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है। संतरो को डंठल सहित काटकर अलग कर लेना चाहिए। डंठल सहित काटने से फल ज्यादा वक्त तक ताज़ा बना रहता है।