Hyundai ने नंबर 1 का ताज बचाने के लिए चला ये दाव, Mahindra और TATA में पहले पायदान के लिए हो रही है जम कर टक्कर कार निर्माता कंपनी हुंडई भारत में दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी है. लेकिन टाटा मोटर्स और महिंद्रा की लगातार बढ़ती पहुंच से हुंडई को टेंशन में डाल दिया है. ऐसे में भारतीय कार बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए Hyundai Motor India अपनी प्रोडक्शन कपैसिटी को बढ़ाकर 8.2 लाख यूनिट सालाना करने की तैयारी में है. कंपनी के एमडी और सीईओ उनसू किम ने कहा कि हमारा लक्ष्य ऑर्डर के बैकलॉग को कम करना है, क्योंकि सेमीकंडक्टर सप्लाई के मामले में सुधार हो रहा है. ह्युंडई को और अधिक बिक्री की उम्मीद।
Hyundai ने नंबर 1 का ताज बचाने के लिए चला ये दाव, Mahindra और TATA में पहले पायदान के लिए हो रही है जम कर टक्कर
हुंडई माइक्रोचिप की कमी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित कार कंपनियों से एक थी. फिलहाल हुंडई के पास लगभग 1.15 लाख कारों का बैकलॉग ऑर्डर है, जिनमें से अधिकांश क्रेटा और वेन्यू जैसी लोकप्रिय एसयूवी के लिए हैं. ऐसे में प्रोडक्शन कपैसिटी बढ़ाने से 2023 में कंपनी की कारों का वेटिंग पीरियड कम होने के आसार हैं. उन्सू किम ने ऑटो एक्सपो 2023 के मौके पर बताया, ‘‘पिछले साल उद्योग इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की कमी से जूझ रहा था लेकिन अब स्थिति बेहतर हो रही है.”
Hyundai Motor India हुंडई मोटर

Hyundai ने नंबर 1 का ताज बचाने के लिए चला ये दाव, Mahindra और TATA में पहले पायदान के लिए हो रही है जम कर टक्कर HMIL के सीओओ तरुण गर्ग ने कहा, ‘‘वर्तमान में कंपनी के पास लगभग 1.15 लाख यूनिट ऑर्डर पेंडिंग हैं. इनमें से ज्यादातर क्रेटा और वेन्यू एसयूवी के ऑर्डर हैं.’’ गर्ग ने कहा, ‘‘हम सप्लाई बढ़ा रहे हैं… पिछले साल क्रेटा का प्रोडक्शन 1,40,000 यूनिट्स रहा, जो 2021 की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक था. हम जून, 2023 से प्लांट क्षमता को सालाना 7,60,000 यूनिट से बढ़ाकर 8,20,000 यूनिट करेंगे.’’
Hyundai ने नंबर 1 का ताज बचाने के लिए चला ये दाव, Mahindra और TATA में पहले पायदान के लिए हो रही है जम कर टक्कर
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बिक्री की रफ्तार कायम रहने की उम्मीद Selling Speed is countine
टाटा मोटर्स, किआ इंडिया और हुंडई को 2023 में भी बिक्री की रफ्तार कायम रहने की उम्मीद है. पिछले साल डीलरों को इन कंपनियों की आपूर्ति में अच्छी वृद्धि देखने को मिली थी. हालांकि, इन कंपनियों को महंगाई और उच्च ब्याज दरों के दबाव को झेलना पड़ सकता है. और भी अधिक गाड़ियों में बिक्री देखने को मिल सकती है।