Hing Ki kheti: हींग की खेती कर कमाई जा सकते है लाखों रूपए, जाने खेती करने का सही तरीका…

By Alok Gaykwad

Published on:

Follow Us

Hing Ki kheti: हींग की खेती कर कमाई जा सकते है लाखों रूपए, जाने खेती करने का सही तरीका…अगर आप खेती करके बिजनेस करने की सोच रहे हैं, तो आज हम आपके लिए ऐसा ही एक आइडिया लेकर आए हैं, जिससे लाखों की कमाई हो सकती है. बहुत से लोग खेती को घाटे का सौदा मानकर नौकरी की तलाश में रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे लोग भी हैं जो नौकरी छोड़कर खेती करके मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. भारत में हींग की बहुत डिमांड है, जिसकी वजह से इसकी खेती आपको मुनाफा दे सकती है.

यह भी पढ़े : – लड़कियों को सेल्फी का चस्का लगाने आया Redmi का चार्मिंग लुक 5G स्मार्टफोन, देखे लक्जरी कैमरा और सस्ती कीमत

भारत में भी होने लगी हींग की खेती

पहले भारत में हींग की खेती नहीं होती थी, लेकिन धीरे-धीरे देश में किसान हींग की खेती करने लगे हैं. इसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश से हुई थी. आज के समय में शुद्ध हींग की कीमत 30,000 रुपये किलो से लेकर 40,000 रुपये किलो तक है.

यह भी पढ़े : – Desi jugaad: शख्स ने भीषण गर्मी से बचने के लिए लगाया अनोखे कूलर का जुगाड़, देखे वायरल वीडियो

हींग की खेती के लिए उपयुक्त तापमान

आप जो भी फसल उगाना चाहते हैं, उसके लिए उपयुक्त तापमान की जानकारी ले लें. हींग की खेती के लिए भी तापमान पर विशेष ध्यान देना होता है. इसके लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. बहुत ज्यादा ठंड या बहुत ज्यादा गर्म तापमान में इसकी खेती नहीं की जा सकती है. इसकी खेती ज्यादा पहाड़ी इलाकों में की जा रही है.

हींग की खेती कैसे करें?

हींग की खेती के लिए बलुई मिट्टी की जरूरत होती है. इसके लिए खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से जोतना होगा.

जुताई के बाद बुवाई की बारी आती है. हींग के बीजों को करीब 2-2 फीट की दूरी पर लगाए जाते हैं. जब पौधे निकल आते हैं, तो उन्हें 5-5 फीट की दूरी पर ट्रांसप्लांट करना होता है.

सिंचाई का ध्यान रखें

हींग की फसल में पानी लगाने से पहले खेत की नमी जरूर जांच लें. क्योंकि इन पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. ज्यादा पानी लगने से पौधे खराब हो सकते हैं.

इन पौधों को पेड़ बनने में करीब पांच साल का समय लग सकता है. इन पेड़ों और उनकी जड़ों से आप गोंद निकाल सकते हैं.

हींग की खेती में लगने वाली लागत

इस खेती के लिए किसानों को कम से कम चार लाख रुपये खर्च करने होंगे. इसके अलावा, मशीनों का खर्च भी अलग से हो सकता है.