ब्रह्मांड के रहस्य खोलने वाला हिग्स बोसॉन, और क्या है और भगवान शिव से इसका क्या संबंध, जानिए

By charpesuraj4@gmail.com

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विज्ञान को आधुनिक चमत्कार भी कहा जाता है. विज्ञान के क्षेत्र में 4 जुलाई 2012 का दिन एक खास दिन है. इसी दिन वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसॉन नामक उप-परमाणविक कण (subatomic particle) खोजने में सफलता प्राप्त की थी. इसे “ईश्वर कण” (God particle) या भगवान शिव का अंश भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उन्हें हिग्स बोसॉन कण के अस्तित्व के बहुत पुख्ता संकेत मिले हैं. इस कण की खोज में वैज्ञानिकों को पूरे 50 साल लग गए थे. यह परमाणु से भी बहुत छोटा कण है, जिसकी बनावट कैसी है और यह कैसे बना है, यह आज भी एक रहस्य है. इसे ब्रह्मांड का DNA भी कहा जाता है.

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“ईश्वर कण” की खोज (Discovery of the “God Particle”)

यूरोपीय परमाणु शोध संगठन (European Organization for Nuclear Research) यानी सर्न (CERN) के वैज्ञानिकों ने इस “ईश्वर कण” या हिग्स बोसॉन कण की खोज की थी. यह ब्रह्मांड में पाया गया अतिसूक्ष्म कण वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर हिग्स बोसॉन रखा गया. उन्होंने 1964 में इस कण के सिद्धांत को प्रस्तुत किया था. हालांकि, उनका सिद्धांत 50 साल बाद जाकर ही सत्य साबित हुआ. पीटर हिग्स का इसी साल अप्रैल में निधन हो गया था, वे 94 वर्ष के थे. पीटर हिग्स ने दुनिया को समझाया था कि ब्रह्मांड में जो भी मौजूद है, वह सब बोसॉन कणों से ही बना है. उसी ब्रह्मांड में हर कण को अपना द्रव्यमान (mass) इन्हीं बोसॉन कणों से प्राप्त हुआ है.

पीटर हिग्स का सिद्धांत (Peter Higgs’ Theory)

वर्ष 1964 में पीटर हिग्स ने हिग्स बोसॉन के अस्तित्व का सिद्धांत दिया था. उनके अनुसार, ब्रह्मांड के हिग्स क्षेत्र में एक अतिसूक्ष्म कण होता है, जो परमाणु से भी छोटा होता है. यह एक क्वांटम क्षेत्र है, जो ब्रह्मांड भर में विद्यमान रहकर कणों को द्रव्यमान प्रदान करता है. हिग्स क्षेत्र में हिग्स बोसॉन एक तरंग की तरह काम करता है. इस सिद्धांत के लिए हिग्स को भौतिक शास्त्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया.

“ईश्वर कण” क्यों कहलाता है और भगवान शिव से इसका क्या संबंध है? (Why is it called the “God Particle” and how is it related to Lord Shiva?)

हिग्स बोसॉन या “ईश्वर कण” को ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण भी कहा जाता है. यह परमाणु से भी छोटा है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह साबित किया है कि यह ब्रह्मांड के हर कोने में स्थित है और उसी से इस ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है. यह बहुत ही अस्थिर है और तुरंत ही खत्म हो जाता है. इसका कोई विद्युत आवेश नहीं होता है और यह ब्रह्मांड में गति भी नहीं करता है. यह ब्रह्मांड के हिग्स क्षेत्र में पाया जाता है. इसका संबंध भगवान शिव से इसलिए भी बताया जाता है क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव सृष्टिकर्ता और विनाशक दोनों हैं.

वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि हिग्स बोसॉन से ही इस ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है, इसलिए इसे ब्रह्मांड का DNA भी कहा जाता है. हिग्स बोसॉन का द्रव्यमान 125 बिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट होता है, जो कि एक प्रोटॉन से 130 गुना ज्यादा है.