भारतीय खानें में प्याज एक अहम सब्जियों में से एक है। इसका इस्तेमाल लोग सब्जी और सलाद में करते है। प्याज भारत में एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है। हरे प्याज को कंदीय फसल भी कहते हैं जिसकी जड़ या कंद छोटी होती है। इसकी पत्तियाँ लहसुन की पत्तियों के जैसे लम्बे चौड़े सीधी और नुकीले और तना सफेद होता है। हरे प्याज खेती कर किसान भाई काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। हरे प्याज को सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में और इसके अलावा कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है। तो जानते हरे प्याज की खेती करने की पूरी प्रोसेस।
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हरे प्याज की खेती के लिए उपयुक्त भूमि और जलवायु
हरे प्याज की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी काफी उपयोगी होती है। इसकी खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए 5 से 6.5 के बीच पी.एच. मान वाली भूमि का चुनाव करे। रे प्याज की खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती हैं। हरे प्याज को सितंबर से नवंबर के महीने तक ठंड के मौसम में बोया जाता है। इसकी अच्छी उपज के लिए 20 डिग्री. से. से 27 डिग्री. से. के तापमान को उपयुक्त माना है।
खेत की तैयारी
रोपाई से पहले खेत को ट्रैक्टर में देशी हल जोड़कर 2 से 3 गहरी जुताई करे। जिससे कि खेत की भूमि बिलकुल भुरभुरी हो जाए और उसमें ढेला बिल्कुल भी ना बचे। इसके अलावा खेत की भूमि में गोबर की सड़ी हुई खाद आखरी की जुताई के समय डाले। साथ ही भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए पोटाश और फ़ॉस्फोरस और नाइट्रोजन का अच्छे से छिड़काव करना चाहिए।
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रोपाई का तरीका
हरे प्याज की बुआई की समय सितम्बर से नवम्बर माह के बीच रहता है। हरे प्याज के खेत में बुवाई के लिए 6 से 7 किलोग्राम प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से एक महीने पहले पौधे तैयार करना चाहिए। पौधे तैयार करने के लिए बीज को तैयार क्यारियों में बोआ जाता है।
सिंचाई
हरे प्याज की रोपाई के बाद पहली सिंचाई 9 से 10 दिन के बाद होनी चाहिए। हरे प्याज के पौधे पूरी तरह तैयार होने में इसकी फसल को लगभग 10 से 15 बार सिंचाई की जरूरत होती है।
फसल की कटाई और पैदावार
जब प्याज का तना 2-3 सेंटीमीटर मोटा हो जाये तो उखाड़ लेना चाहिए। हरे प्याज के एक पौधे से पत्तियाँ सहित लगभग 135 से 150 ग्राम पैदावार मिल सकती है। इसके प्रति हेक्टर खेत से करीब 450 से 550 क्विंटल की पैदावार प्राप्त कर सकते है।