घर के आँगन में खुटा ठोक करे इस खास नस्ल वाले बकरे का पालन, चंद समय में बन जाओगे अमीर…

By Rishabh Meena

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Goat Farming: घर के आँगन में खुटा ठोक करे इस खास नस्ल वाले बकरे का पालन, चंद समय में बन जाओगे अमीर…बकरीद के मौके पर बकरों की बहुत मांग होती है. खासकर दो महीने पहले से ही बाजार में अच्छी नस्ल और स्वस्थ बकरों की डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे बकरों के लिए खरीददार मनचाही कीमत देने के लिए भी तैयार रहते हैं. जानकारों की मानें तो बकरीद पर बिकने वाले बकरों से अच्छी कमाई भी हो सकती है. लेकिन आम लोगों में ये धारणा है कि पशुपालन सिर्फ गांवों में ही किया जा सकता है. शहर में जानवरों को चराने के लिए जगह नहीं होती. खासकर बकरी पालने की बात हो तो ये समझा जाता है कि हरी चारा के बिना उसका गुजारा नहीं चल सकता.

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लेकिन ये सोच बिल्कुल गलत है. केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा द्वारा कुछ खास नस्ल की बकरियों और चारे पर किए गए शोध के बाद अब बकरियों को घर के आंगन या छत पर भी बांधकर पाला जा सकता है. अगर सीआईआरजी के बताए गए तरीकों को अपनाया जाए तो बकरीद पर घर में ही बकरी पालकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

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बकरीद पर शहरों में भी होती है Urban Breed बकरों की डिमांड

सीआईआरजी के सीनियर वैज्ञानिक और बারबरी नस्ल के विशेषज्ञ एम.के. सिंह का कहना है कि बकरी की बरबरी नस्ल को Urban Breed भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे से बांधकर या फिर छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से 9 महीने की उम्र में इसका वजन 25 से 30 किलो और एक साल की उम्र में 40 किलो तक हो जाता है. जबकि मैदान या जंगल में ही चरने पर रखी गई बकरी का वजन एक साल में 25 से 30 किलो ही होता है.

बिना चराए भी ये बकरी होती है बहुत स्वस्थ

सीआईआरजी में बकरी पालन प्रबंधन के गुर सिखाने वाले डॉक्टर गोपाल दास का कहना है कि कुछ नस्ल की बकरियां हैं जिन्हें फार्म में रखकर भी पाला जा सकता है. उदाहरण के तौर पर बाराबरी, सिरोही और सोनात नस्ल की बकरियों और बकरों को फार्म में पालकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. बाराबरी नस्ल की बकरियों और बकरों को शहरों वाला बकरा (Town Goat) भी कहा जाता है. इन तीनों नस्लों की बकरियों को फार्म में रखकर और दाना खिलाकर उनका वजन काफी बढ़ाया जा सकता है.

पैलेट्स की पूर्ति करती है हर तरह के चारे की कमी

सीआईआरजी के फीड विशेषज्ञ डॉक्टर रविंद्र बताते हैं कि अब बकरी पालन में ये दिक्कत नहीं है कि फार्म या घर में सूखा, हरा और दाना चारा का अलग-अलग इंतजाम करना पड़े. सीआईआरजी ने चारे के क्षेत्र में कई शोध किए हैं जिसके बाद अब बकरी के लिए तीन तरह का अलग-अलग चारा जुटाने की जरूरत नहीं है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने हरा, सूखा और दाना चारा मिलाकर पेलेट्स तैयार किए हैं. बस बकरियों और बकरों के सामने ये पेलेट्स रख दें और जरूरत के हिसाब से और पानी पीने