गर्मियों में गाय और भैंसों का खास ख्याल रखें, नहीं तो हो सकता है आर्थिक नुकसान…

By Alok Gaykwad

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गर्मियों में गाय और भैंसों का खास ख्याल रखें, नहीं तो हो सकता है आर्थिक नुकसान, गर्मी और लू का सीजन आते ही पशुपालकों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं. इस मौसम में गाय और भैंसों को कई तरह की बीमारियां भी जल्दी लगने का खतरा रहता है. साथ ही जानवर हीट स्ट्रोक का भी शिकार हो सकते हैं. इसलिए गर्मी के दिनों में पशुओं की देखभाल बहुत जरूरी होती है. जरा सी लापरवाही जानवर की जान पर भी बन सकती है.

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दूध उत्पादन में कमी का बड़ा कारण है हीट स्ट्रोक

गर्मियों में दूध उत्पादन कम होने का सबसे बड़ा कारण हीट स्ट्रोक माना जाता है. खासकर गर्मी की दोपहर में पशुओं का खास ख्याल रखना चाहिए. जरा सी भी लापरवाही जानवर की जान पर बन सकती है.

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पशुपालकों को होता है आर्थिक नुकसान

अगर दूध कम होता है, तो भी जानवर उतना ही चारा खाता है, जितना वह आम दिनों में खाता है. ऐसे में पशुपालक को ना सिर्फ जानवर के इलाज पर खर्च करना पड़ता है, बल्कि उसे पूरा आहार भी देना होता है. जबकि दूध का उत्पादन नाममात्र ही होता है.

पशु विशेषज्ञों की सलाह

पशु विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते कुछ जरूरी उपाय कर लिए जाएं, तो पशुपालक परेशानी और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं. साथ ही पशु भी स्वस्थ रहेंगे.

गाय और भैंसों की देखभाल

  • बढ़ते तापमान और लू में जानवरों का ध्यान रखें.
  • गर्मी आने पर गाय और भैंसों को सही समय पर गर्मी से जोड़ा जाना चाहिए.
  • दोपहर के समय जानवरों को सीधी धूप से बचाएं.
  • खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियों से बचाव के लिए टीका लगवाएं.
  • पेट के कीड़ों की दवा डॉक्टर की सलाह पर दें.
  • गेहूं के भूसे में यूरिया मिलाकर उसका पोषण मूल्य बढ़ाएं.

गाय और भैंसों की देखभाल

  • दूध दुहने के बाद गाय या भैंस के थन को कीटाणुनाशक घोल में डुबोकर साफ करें.
  • दुधारू पशुओं को मास्टिटिस जैसी बीमारी से बचाने के लिए डॉक्टर की सलाह लें.
  • गर्भवती और बीमार पशुओं को सुबह-शाम टहलाएं.
  • जानवरों को साफ और ताजा पानी पिलाएं, ठंडा पानी न दें.
  • सुबह-शाम जानवर को ताजे पानी से नहलाएं.

पशुओं के रहने की जगह का रखें ध्यान

  • जानवरों के रहने की जगह हवादार होनी चाहिए.
  • गोशाला में रेत और मिट्टी का खुरदरा फर्श होना चाहिए.
  • गोशाला में कहीं भी गीलापन नहीं होना चाहिए.

गाय और भैंसों की देखभाल

  • बछड़े को 6 महीने की उम्र में ही बधिया कर दें.
  • अगर पशुओं का पेट फूल गया है, तो उन्हें 50 ग्राम तारपीन का तेल 500 ग्राम सरसों के तेल के साथ दें.
  • पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए 50-60 ग्राम मिनरल मिक्सचर दें.
  • हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए गेहूं की कटाई के बाद ज्वार, मक्का और लोबिया की बुवाई करें.