गर्मी और लू का सीजन गाय-भैंसों के लिए भी है परेशानी का, जानें कैसे रखें इनका ख्याल…

By Alok Gaykwad

Published on:

Follow Us

गर्मी और लू का सीजन गाय-भैंसों के लिए भी है परेशानी का, जानें कैसे रखें इनका ख्याल, गर्मी और लू का ये मौसम जितना हमारे लिए परेशानी का होता है, उतना ही गाय-भैंसों के लिए भी. इस मौसम में कई तरह की गंभीर बीमारियां भी जानवरों को अपनी चपेट में ले लेती हैं. यही नहीं, जानवर इस दौरान हीट स्ट्रेस में भी आ जाते हैं.

यह भी पढ़े : – पापा की परियों के लिए Yamaha ने पेश की अपनी स्पोर्टी लुक स्कूटी, देखे स्टैंडर्ड फीचर्स के साथ में पॉवरफुल इंजन…

भैंस

गर्मियों में दूध कम होने का सबसे बड़ा कारण हीट स्ट्रोक भी है. खासतौर पर गर्मियों की दोपहर के समय जानवरों को काफी देखभाल की जरूरत होती है. इस दौरान जरा सी लापरवाही जानवर की जान भी ले सकती है.

यह भी पढ़े : – लड़कियों के दिल का चैन चुराने आया Vivo X Fold 3 Pro स्मार्टफोन, जाने प्रीमियम डिस्प्ले और तगड़ी बैटरी पॉवर, जाने कीमत…

यहां पर पशुपालक के नुकसान की बात करें तो कम दूध देने की स्थिति में भी जानवर रोज़ की तरह ही चारा खाता है. ऐसे में पशुपालक को जानवर की बीमारी पर भी खर्च करना पड़ता है और साथ ही उसे पूरा आहार भी देना होता है. जबकि दूध का उत्पादन लगभग ना के बराबर रह जाता है.

गाय

पशु विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते कुछ जरूरी उपाय कर लिए जाएं तो पशुपालक परेशानी और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं. साथ ही जानवर भी स्वस्थ रहेंगे.

गाय और भैंसों की देखभाल

  • बढ़ते तापमान और लू में इनका ध्यान रखें.
  • गाय और भैंस हीट में आ जाएं तो उन्हें समय पर गर्मी से निपटने का इंतजाम करें.
  • दोपहर के समय जानवर को सीधी धूप से बचाएं.
  • खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव के लिए उनका टीकाकरण करवाएं.
  • पेट के कीड़ों की दवा डॉक्टर की सलाह पर खिलाएं.
  • गेहूं के भूसे का पोषण बढ़ाने के लिए उसमें यूरिया मिलाएं.

गाय और भैंसों की देखभाल

  • दूध दुहने के बाद जानवर के थन को कीटाणुनाशक घोल में डुबोकर साफ करें.
  • दूध देने वाले जानवरों को थनैला रोग से बचाने के लिए उन्हें घेर दें.
  • गर्भवती और बीमार जानवरों को सुबह- शाम टहलाएं.
  • जानवरों को साफ और ताजा पानी पिलाएं, ठंडा पानी न दें.
  • सुबह-शाम जानवर को ताजे पानी से नहलाएं.
  • पशुशाला हवादार होनी चाहिए.
  • शेड का फर्श रेत और मिट्टी का बना होना चाहिए, जो खुरदरा हो.
  • शेड में कहीं भी नमी नहीं होनी चाहिए.

गाय और भैंसों की देखभाल

  • बछड़े को छह महीने की उम्र में ही खड़ा कर दें.
  • अगर जानवर पेट फूलने की बीमारी से ग्रस्त हैं, तो उन्हें 500 ग्राम सरसों के तेल के साथ 50 ग्राम तारपीन का तेल दें.
  • जानवरों के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्हें 50-60 ग्राम मिनरल मिक्सचर दें.
  • हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए गेहूं की कटाई के बाद ज्वार, मक्का और लोबिया की बुवाई कर दें.