Foreign Vegetable Farming: विदेशी सब्जी की खेती कर कमा लोंगे तगड़ा मुनाफा, जाने पूरी डिटेल्स…

By Alok Gaykwad

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Foreign Vegetable Farming: विदेशी सब्जी की खेती कर कमा लोंगे तगड़ा मुनाफा, जाने पूरी डिटेल्स, भारत के अधिकांश किसान परंपरागत खेती को छोड़कर अब गैर-परंपरागत खेती अपना रहे हैं और इसमें सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं. ज्यादातर किसान सब्जियों की खेती करना पसंद करते हैं क्योंकि कम समय में सब्जियों से ज्यादा कमाई हो जाती है. देश में विदेशी सब्जियों की मांग हमेशा बनी रहती है, खासकर पांच सितारा होटलों और अन्य होटलों में विदेशी सब्जियों की डिमांड काफी ज्यादा होती है. विदेशी सब्जियों की कीमत दूसरी सब्जियों के मुकाबले ज्यादा होती है, जिससे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. इन्हीं में से एक है ब्रसेल्स स्प्राउट, जो गोभी की तरह की एक सब्जी है. इसके पौधे के ऊपरी भाग से डंठल निकलते हैं, जो बहुत छोटे आकार के होते हैं और गोभी जैसी दिखाई देते हैं. इसकी खेती मध्य और उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है.

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पहाड़ी इलाकों का वातावरण उपयुक्

ब्रसेल्स स्प्राउट की खेती ठंडे तापमान में होती है और पहाड़ी क्षेत्रों का वातावरण इसके लिए उपयुक्त माना जाता है. देश के अन्य राज्यों में भी दिसंबर-जनवरी तक इसकी खेती होती है. पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले किसान साल में दो बार इस विदेशी सब्जी की खेती कर सकते हैं, मार्च-जून और जुलाई-अक्टूबर में इसकी खेती की जा सकती है. अगर किसान मार्च में इसकी फसल लगाते हैं, तो ऑफ सीजन होने के कारण उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सकता है.

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उन्नत किस्मों का चुनाव

ब्रसेल्स स्प्राउट गोभी की तरह की फसल है, जिसके पौधे के ऊपरी भाग से डंठल निकलते हैं. यह देखने में छोटी गोभी जैसी लगती है. मध्य और उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में इस सब्जी की बहुत अच्छी खेती की जा सकती है. इसकी खेती करने के लिए किसान पहले नर्सरी में पौधे तैयार करते हैं. इसके बाद 4 से 5 हफ्तों में इसकी रोपाई कर दी जाती है. अगर ब्रसेल्स स्प्राउट सब्जी की उन्नत किस्मों की बात करें तो इसमें हिल्स आईडियल और रुबाइन शामिल हैं.

ब्रसेल्स स्प्राउट की खेती

इसकी खेती करने से पहले खेत तैयार करना होता है. इसके बाद खेत तैयार करते समय सुपर फॉस्फेट, गोबर की खाद, पूरी मात्रा में पोटाश और एक तिहाई मात्रा में यूरिया मिलाया जाता है. लगभग एक महीने बाद बची हुई मात्रा को खेत में डालना होता है. इस फसल के बढ़ते समय कम से कम एक बार खरपतवार निकालना चाहिए, इससे मिट्टी ढीली हो जाती है. ऐसा करने से इसके तने को पर्याप्त हवा मिलती है, जिससे खरपतवारों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है. खरपतवार निकालने के बाद लगभग एक हफ्ते के अंतराल पर इसकी सिंचाई करनी चाहिए.

ब्रसेल्स स्प्राउट की पैदावार

जब ब्रसेल्स स्प्राउट की फसल 3 से 4 सेंटीमीटर गोल हो जाती है, तो इसके तने से सब्जी प्राप्त की जा सकती है. अगर किसान एक हेक्टेयर में ब्रसेल्स स्प्राउट की खेती करते हैं, तो इससे लगभग 100 से 150 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त हो सकती है.