Festival September 2022: सितंबर का महीना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस माह में कई बड़े व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार राधाष्टमी से लेकर शारदीय नवरात्रि तक सितंबर में ही पड़ेगी।
आइए आपको इस माह पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहारों की पूरी जानकारी देते हैं।
01 सितंबर, गुरुवार- ऋषि पंचमी (September 01, Thursday – Rishi Panchami):
ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा के साथ व्रत भी रखा जाता है। यह व्रत और पूजा महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
02 सितंबर, शुक्रवार- स्कंद षष्ठी (02nd September, Friday – Skanda Sashti):
स्कंद षष्ठी को कांडा षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन शिव जी और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
03 सितंबर, शनिवार – महालक्ष्मी व्रत ,ध्रुव अष्टमी (03rd September, Saturday – Mahalaxmi Vrat, Dhruva Ashtami):
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होगी। यह व्रत 3 सितंबर 2022 से शुरू होकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी 17 सितंबर 2022 तक चलेगा। यह बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और जीवन के सारे कष्टों को दूर करती हैं।
04 सितंबर, रविवार – दुर्गा अष्टमी व्रत, राधा अष्टमी (04 September, Sunday – Durga Ashtami Vrat, Radha Ashtami):
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का व्रत रखा जाता है। राधा अष्टमी जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाई जाती है। कहते हैं इस दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। साथ ही महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
05 सितंबर, सोमवार – शिक्षक दिवस (05 September, Monday – Teacher’s Day):
5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षकों के साथ यह दिन छात्रों के लिए भी बेहद खास होता है।
06 सितंबर, मंगलवार – रामदेव जयंती , पार्श्व एकादशी रामदेव जयंती (06 September, Tuesday – Ramdev Jayanti, Parshva Ekadashi Ramdev Jayanti):
हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोग बाबा रामदेव की पूजा करते हैं। जहां एक ओर हिंदू भक्त उन्हें श्री कृष्ण का अवतार मानते हैं, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय के लोग उन्हें राम शाह पीर मानते हैं।
07 सितंबर, बुधवार – वैष्णव पार्श्व एकादशी (07 September, Wednesday – Vaishnav Parshva Ekadashi):
ऐसी मान्यता है कि पार्श्व एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है, साथ ही सेहत से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
08 सितंबर, गुरुवार- प्रदोष व्रत, ओणम (08th September, Thursday – Pradosh Vrat, Onam):
प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। अविवाहित लोगों को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति हो सकती है और धन धान्य की भी कमी नहीं होती है।
केरल में ओणम बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को दो दिन विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है। पहले दिन को उथ्रादम और दूसरे दिन को थिरूओणम कहा जाता है। कहते हैं थिरूओणम के दिन राजा बलि का आगमन होता है।
09 सितंबर, शुक्रवार-अनंत चतुर्दशी, गणेश विसर्जन (09 September, Friday – Anant Chaturdashi, Ganesh Visarjan):
अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। अनंत चतुर्दशी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के 14 वें दिन आता है। इस दिन भगवान विष्णु की भुजा पर धागा बांधा जाता है जिसमें 14 गांठें होनी चाहिए। गणेश विसर्जन भी अनंत चौदस के दिन ही होता है।
10 सितंबर, शनिवार- पूर्णिमा व्रत, पितृ पक्ष , भाद्रपद पूर्णिमा , प्रतिपदा श्रद्धा, पूर्णिमा , श्री सत्यनारायण पूजा, श्री सत्य नारायण व्रत (September 10, Saturday – Poornima Vrat, Pitru Paksha, Bhadrapada Purnima, Pratipada Shraddha, Poornima, Shree Satyanarayan Puja, Shree Satya Narayan Vrat):
पितृ पक्ष पूरे 15 दिनों का होता है। इस दौरान लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत लोग धरती पर आते हैं और अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं। भाद्रपद की पूर्णिमा के ठीक अगले दिन पितृपक्ष की शुरुआत होती है।
पूर्णिमा के दिन जो भी भक्त सच्चे मन से श्री सत्यनारायण की पूजा करता है तथा व्रत रखता है, उस पर भगवान की कृपा दृष्टि बनी रहती है, साथ ही उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
13 सितंबर, मंगलवार-अंगारकी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी (September 13, Tuesday – Angaraki Chaturthi, Sankashti Chaturthi):
अंगारकी चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। यदि चतुर्थी तिथि मंगलवार को पड़ जाए तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं।
14 सितंबर, बुधवार-भरणी श्राद्ध , हिंदी दिवस (September 14, Wednesday – Bharani Shradh, Hindi Day):
पितृपक्ष में पूर्णिमा श्राद्ध, महा भरणी श्राद्ध और सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है।
14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में दर्जा दिया गया था।यही वजह है कि हर साल इस दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है।
17 सितंबर शनिवार- रोहिणी व्रत, कन्या संक्रांति , कालाष्टमी, महालक्ष्मी व्रत समाप्ति, अरबईन, विश्वकर्मा जयंती (17 September Saturday – Rohini Vrat, Kanya Sankranti, Kalashtami, Mahalaxmi Vrat ending, Arbaeen, Vishwakarma Jayanti):
उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत रखा जाता है। जब सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने को कन्या संक्रांति कहते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से दुःख, दरिद्रता दूर होती है और जीवन में खुशहाली आती है।
माना जाता है कि ब्रह्मा जी के कहने पर विश्वकर्मा जी ने ये दुनिया बनाई थी। इस पूरे संसार का निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था। यहां तक की शिव जी का त्रिशूल भी उन्होंने ही बनाया था।
18 सितंबर रविवार- मध्य अष्टमी (18th September Sunday – Mid Ashtami):
अपने मृत पूर्वजों के लिए मध्य अष्टमी करने वाले व्यक्ति को वर, तिथि, नक्षत्र और ऐसे अन्य दोषों के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
19 सितंबर सोमवार- अविधवा नवमी (Monday 19 September – Avidva Navami):
यदि कोई स्त्री सुहागन मरती है तो अविधवा नवमी के दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
21 सितंबर बुधवार- इंदिरा एकादशी (21 September Wednesday – Indira Ekadashi):
पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी में व्रत और पूजा करने से मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
23 सितंबर शुक्रवार – प्रदोष व्रत, माघ श्राद्ध (Friday 23 September – Pradosh Vrat, Magh Shradh):
माघ श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान किया जाता है, जब अपराह्न काल के दौरान ‘मघा’ नक्षत्र मौजूद होता है।
24 सितंबर शनिवार – मासिक शिवरात्रि (24 September Saturday – Monthly Shivratri):
मासिक शिवरात्रि का व्रत करने वाले भक्तों पर शिवजी की विशेष कृपा बनी रहती है। कहते हैं भगवान के आशीर्वाद से मनुष्य का जीवन सुखों से भर जाता है और उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
25 सितंबर रविवार- अमावस्या, महालय अमावस्या (25 September Sunday – Amavasya, Mahalaya Amavasya):
यह हमारी पिछली पीढ़ियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और हमारे जीवन में उनके अपार योगदान के लिए समर्पित एक विशेष दिन है।
26 सितंबर सोमवार- शरद ऋतु, नवरात्रि की शुरुआत , सोमवार व्रत, अग्रसेन जयंती (26 September Monday – Autumn, beginning of Navratri, Monday fast, Agrasen Jayanti):
ऐसा माना जाता है कि जो लोग सावन के सोमवार का व्रत करते हैं, उन्हें सुख, स्वास्थ्य, धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।