कम लागत में अश्वगंधा की खेती कर किसान कमा सकते अधिक मुनाफा, जानिए खेती करने का उचित समय और सही तरीका। आजकल भारत के किसान परंपरागत फसलों को छोड़कर नकदी और मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने में भी काफी मदद मिल रही है। अगर आप भी अश्वगंधा की खेती (Ashwagandha Cultivation)करके अच्छी खासी कमाई कर सकते है। आइये जानते है अश्वगंधा की खेती करने की पूरी जानकारी।
अश्वगंधा की खेती करने की सही समय अवधि
अश्वगंधा मुख्यतः शरीर की इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाने वाली औषधीय फसल है। यह नर्वस सिस्टम को मजबूत करती है यानि इससे लकवा, रीढ़ की हड्डी में दिक्कत आदि बिमारियों में इसका उपयोग किया जाता है। च्यवनप्राश जैसे कई अवलेहों में भी यह पड़ती है। इस औषधीय फसल की खेती साल में दो बार हो सकती है., फरवरी-मार्च-अप्रैल में और अगस्त-सितंबर-अक्टूबर में। यह 5 महीने की फसल है, यानि इसकी हार्वेस्टिंग का समय जुलाई-अगस्त-सितम्बर और फरवरी-मार्च-अप्रैल तक है। फिर भी इसे खरीफ की फसल के साथ ही बारिश में बोया जाता है। आइये जानते है अश्वगंधा की खेती के करने के लिए उन्नत किस्मे।
ये भी पढ़िए – पल भर में बन सकते मालामाल, अगर आपके पास भी है ये 1 रुपये का पुराना नोट, बस करना होगा यह काम
अश्वगंधा की खेती के के लिए सही किस्मो को करे चयनित

आपकी जानकारी के लिए बतादे अश्वगंधा की खेती (Ashwagandha Cultivation)करने के लिए बहुत सी किस्मे होती है। अश्वगंधा की खेती के लिए जंगली, जवाहर, पोषिता, पुष्टि और नागौरी अश्वगंधा और ये इसी क्रम में श्रेष्ठ होती जाती हैं। जंगली अश्वगंधा अपने खेतों, नालों बीहड़ों में अपने आप उगती है, पर इसका पौधा बड़ा और जड़ें छोटी होती हैं। जबकि बाकी वैराइटियों में क्रमशः पौधा छोटा और जड़ें बड़ी होती चलती हैं। आपको बताते है अश्वगंधा की खेती करने का आसान सा तरीका।
अश्वगंधा की खेती करने का आसान सा तरीका
जानकारी के लिए बताते है अश्वगंधा की खेती (Ashwagandha Cultivation) का बीज बहुत छोटा और चपटा सा होता है। इसके बीज छोटे होने के कारण इसकी बिजाई गहरी नहीं की जा सकती है, बल्कि जमीन में एक सेमी से गहरा ये बीज नहीं जाना चाहिए। इसकी बिजाई छिड़कवा विधि से ही की जाती है।सितम्बर में जब कभी बारिश हो जाए, तब पहले खेत को हैरो से या मोरप्लाऊ से जुताई करे ताकि खेत की खरपतवार खत्म हो जाए और फिर बिना मिट्टी के सूखने का इंतजार किए इसके बीजों में 5 गुना मिट्टी मिला कर इसको खेत में छिड़क दिया जाता है। जब पौधे निकल आये तब पानी देने का नंबर एक-डेढ़ महीने के बाद आता है। बीच में बारिश हो जाए तो पानी नहीं देना चाहिए।
Ashwagandha Cultivation कर हो जायेंगे मालामाल

आपको बता दे अश्वगंधा की खेती के (Ashwagandha Cultivation) लिए अश्वगंधा या सभी जड़ कंदो वाली फसलों को पानी तरसा तरसा कर ही दिया जाता है ताकि इसकी जड़ो का अच्छे से विकास हो। खाद के लिए शुरू में गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद डाल दी जाती है। बाकि इसमें अलग से किसी भी प्रकार के खाद को देने की आवश्यकता नहीं होती है। इस फसल में ना कोई बीमारी आती है, ना इसे कोई पशु खाता है, ना ये अतिरिक्त खाद पानी मांगती है। जनवरी बाद ये कटने लायक हो जाती है। आइये जानते है अश्वगंधा की खेती करके आप कितना मुनाफा कमा सकते है।
ये भी पढ़िए – कम लागत में इस फसल की खेती कर कमा सकते लाखो रुपये, एक बार खेती करके 70 साल तक कर सकते अधिक कमाई, जानिए…
अश्वगंधा की खेती करके कमा सकते अधिक मुनाफा
अश्वगंधा फसल के सभी भाग बिकते है, पर इसकी जड़ें ही मुख्य घटक है। बिकने के लिए जनवरी-फरवरी या मार्च में जब एक बारिश हो जाए इससे जमीन गीली हो जाती है, तब इसकी जड़ें मूली की तरह आराम से उखड़ जाती हैं। इन जड़ों को कुल्हाड़ी से ऊपरी तने से अलग कर देते हैं, साथ ही जड़ को भी जो पूंछ वाला हिस्सा होता है, उसको भी काट देते हैं। यानि जड़ के भी 2-3 पार्ट कर लेते हैं, जिनकी ग्रेडिंग करते हैं और दोनों तीनों तरह की जड़ों को अलग अलग इक्ट्ठा करते हैं, सूखा कर। उधर अश्वगंधा के बचे ऊपरी झाड़ को थ्रेशर से निकलवा लेते हैं, इससे बीज अलग मिल जाता है और बाकी बचे भूसे को भी बोरियों में भर लेते हैं। अब जड़ें, भूसा और बीज तीनों ही बिकते हैं। इसकी जड़ों की रेट 150-200 रूपये प्रति किलो और झाड़ 15 रूपये किलो तक बिक जाता है।