इस सीजन गाजर की इन उन्नत किस्मो की खेती बना देंगी मालामाल, प्रति हेक्टेयर देंगी 280 से 300 क्विंटल तक की उपज, जाने पूरी डिटेल्स, आजकल किसान उन्नत खेती की ओर ज्यादा जोर दे रहे है ऐसी ही फसल है गाजर सितंबर महीने से गाजर की खेती शुरू हो जाती है. सोयाबीन की कटाई होते ही किसान आलू के साथ किसान इसे भी लगाना शुरू कर देते हैं. ठंडी की ये सिजनल सब्जी तीन से चार महीने बाजार में खूब बिकती है. गाजर की खेती से भी अच्छा मुनाफ कमाया जा सकता है, आइये जानते इन किस्मो के बारे में।

गाजर की ये टॉप उन्नत किस्मो के बारे में जानकारी
चैंटनी: इस किस्म के बारे में बताये तो गाजर की ये किस्म 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है. आकार में काफी मोटा होता है. इसकी खेती मुख्यत: मैदानी इलाकों में होती है एक हेक्टेयर में 150 क्विंटल तक गाजर निकलता है.
नैनटिस: बता दे की इस किस्म की सबसे अच्छी बात ये है कि ये खुशबूदार होती है. फसल लगभग 110 से 120 दिनों में तैयार होती है. मैदानी इलाकों में इसकी खेती नहीं होती. प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है।
हिसार रसीली: जैसा की गाजर की इस किस्म की बाजार में सबसे ज्यादा मांग रहती है. इसका रंग गहरा लाल, लंबा और पतला होता है. किसानों के बीच भी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. 30-35 सेंटीमीटर लंबी होती है. फसल 85 से 95 दिनों में तैयार हो जाती है. उत्पादन प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल. रोग प्रतिरोधक भी है.
हिसार मधुर: आपको बता दे की ये गाजर की नई किस्म है और किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. गाजर की लंबाई 25 से 30 सेंटीमीटर तक होती है.150 से 200 क्विंटल तह उत्पादन होगा।

पूसा मेघाली: ये गाजर की अगेती की फसल है. इसे किसान सितंबर में लगाते हैं और ये 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है. औसतन पैदावार 250 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होगा।
पूसा रुधिर: इसकी उपज भी लंबी और गहरे लाल रंग की होती है. किसान इसे 15 सितंबर से अक्टूबर के बीच लगाते हैं और ये दिसंबर तक तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर उपज 280 से 300 क्विंटल तक होगा।
पूसा आंसिता: इस किस्म के गाजर का रंग हल्का काला होता है. बुवाई भी सितंबर से अक्टूबर के बीच होती है. फसल 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है. उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 250 क्विंटल होगा।