बनखेड़ी के नर्मदापुरम में 2631 करोड़ 74 लाख लागत की दूधी सिंचाई परियोजना का भूमि-पूजन किया किया गया ,यह भूमि पूजन हमारे पदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य एक लाख 36 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में सिंचाई है, जिससे किसानों को भरपूर फायदा प्राप्त होगा। इस परियोजना के हेतु नदी पर 2631 करोड़ के बजट द्वारा बाँध बनेगा, जिससे इस क्षेत्र के खेतों को पानी मिलेगा और किसानों के घर में खुशहाली आएगी। दूधी नदी पर बाँध के साथ डोकरीखेड़ा डेम भी बनाने का विचार है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के विचार

श्री मुख्यमंत्री जी का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा विकास के कार्य निरंतर किए जा रहे हैं, पूर्व में किसानों को साल में एक फसल लेना मुश्किल होता था। अब दो ही नहीं बल्कि तीन फसल ली जा रही हैं। मूंग की तीसरी फसल की खरीदी भी सरकार द्वारा की जा रही है ताकि किसानों का नुक्सान न हो । किसानों की समृद्धि के लिए हर कदम उठाये जा रहे हैं।यह साफ़ साफ़ दर्शाता है की किसानो को अब बढ़िया मुनाफा सरकार से प्राप्त हो रहा है और वे खुश है, तथा सरकार उनके लिए काफी कुछ सोच भी रही है।
परियोजना के कार्य,क्षेत्रफल एवं बजट

इस पहल के तहत दूधी नदी पर 162 मीटर लम्बाई एवं 38 मीटर ऊँचाई के बाँध का निर्माण कराया जायेगा। इस निर्मित जलाशय से 55 हजार 410 हेक्टेयर अर्थात एक लाख 36 हजार 921 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। परियोजना के निर्माण के लिये 2631 करोड़ 74 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। परियोजना के निर्माण से नर्मदापुरम जिले के 92 ग्रामों की 30 हजार 410 हेक्टेयर भूमि एवं छिंदवाड़ा जिले के 113 ग्रामों की 25 हजार हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल में भूमिगत पाइप प्रणाली से 2.50 हेक्टेयर तक पानी उपलब्ध हो सकेगा , जिससे किसानों द्वारा स्प्रिंकलर/ड्रिप लगा कर सिंचाई की जा सकेगी।
सिंचाई प्रणाली में होगी बढ़ोतरी

इस पद्धति से सिंचाई होने पर किसानों को खेत समतल करने की आवश्यकता नहीं होगी। कम पानी में अधिक उपयोगी सिंचाई प्रणाली का लाभ मिल सकेगा। इस परियोजना के सफल होने से मध्य प्रदेश के किसानो को उनके फसल सूख जाने के डर से रहत प्राप्त होगी।
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परियोजना की विशेषता
परियोजना की विशेषता यह है कि इसमें भूमिगत पाइप नहर वितरण प्रणाली से प्रत्येक 2.5 हेक्टेयर तक के भूमि क्षेत्र पर एक आउटलेट दिया जायेगा। इस आउटलेट पर पर्याप्त दबाव से जल मिलेगा। कृषक फव्वारा पद्धति (स्प्रिंकलर) अथवा टपक पद्धति (ड्रिप) का उपयोग सिंचाई के लिये कर सकेंगे।