धान की इन उन्नत किस्मो को लगाकर किसान दोगुना कर सकते है पैदावार, देखें पूरी लिस्ट

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धान की इन उन्नत किस्मो को लगाकर किसान दोगुना कर सकते है पैदावार, देखें पूरी लिस्ट

देश में धान उत्पादन अब किसानों के साथ-साथ सरकार के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है। जैसे-जैसे पानी का स्तर घट रहा है, चिंताएं बढ़ रही हैं। एक ओर घटता जल स्तर और दूसरी ओर बढ़ती हुई जनसंख्या भी खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। धान खरीफ सीजन की सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। इसकी खेती देश के सभी क्षेत्रों में मानसून के समय की जाती है। धान की खेती की बात करें तो कृषि वैज्ञानिकों ने धान की कई ऐसी किस्में विकसित की हैं, जिनकी मदद से किसान आसानी से कम पानी में भी बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं धान की उन विकसित किस्मों के बारे में विस्तार से।

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पूसा सुगंध 3

पूसा सुगंध 3 सुगंधित बासमती धान की एक अच्छी किस्म है। धान की अन्य किस्मों की तुलना में पूसा सुगंध 3 धान में किट और रोगों का प्रकोप न के बराबर होता है, जिसके कारण इसके उत्पादन में कीटनाशक का इस्तेमाल कम करना पड़ता है। धान की यह किस्म 130 दिनों में पक जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 6.2 से 6.5 टन उत्पादन लिया जा सकता है। धान की इस किस्म की बुवाई पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर जैसे बासमती उत्पादन करने वाले राज्यों में की जाती है।

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एनडीआरआर धान 310

धान की अच्छी पैदावार देने वाली लोकप्रिय किस्मों में एनडीआरआर धान 310 सबसे अच्छी धान की किस्म है। इसके दाने सफेद और चमकदार होते हैं। इसके दानों में प्रोटीन की मात्रा 10.3 प्रतिशत होती है। धान की इस किस्म के पौधों की औसतन लंबाई 90 से 95 सेंमी होती है। धान की इस किस्म की फसल पकने की अवधि 125 से 130 दिन है। यह 45 से 50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की औसतन पैदावार देने में सक्षम है।

पूसा 834 धान

पूसा 834 बासमती चावल की उच्च उपज वाली किस्म है जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया था। यह एक अर्ध-बौनी किस्म है जिसकी परिपक्वता अवधि लगभग 125-130 दिनों की होती है। यह प्रति हेक्टेयर 6-7 टन धान का उत्पादन कर सकता है। इसे कम गुणवत्ता वाली मिट्टी या पानी की कमी वाले क्षेत्रों में किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है।

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आईआर 36

धान की यह किस्म सूखाबर्दाश्त करने वाली किस्म है। इस किस्म की बुवाई कम बारिश वाले इलाकों में की जाती है। आईआर -36 धान की इस किस्म की फसल पकने की अवधि 115 से 120 दिन है। धान की यह किस्म 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है।

डीआरएच 775

महज 97 दिनों में पकने वाली धान की इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 7 से 7.7 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह किस्म बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड तथा पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्यों के लिए अनुशंसित है।