Kalava Bandhne ka Mahatv: कलाई पर बंधा कलावा कैसे देता है शुभ फल, जानें इसे पहनने और निकालने के सही नियम

By charpesuraj4@gmail.com

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Kalava Bandhne ka Mahatv: हिंदू धर्म में कलावा को बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि कलाई पर बंधा कलावा हर तरह की नकारात्मकता को दूर रखता है. अक्सर धार्मिक त्योहारों, पूजा-पाठ आदि के दौरान सभी को कलावा बांधा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे कब और कैसे निकालना चाहिए? या फिर निकालने के बाद कलावा का क्या करना चाहिए? जानिए मशहूर ज्योतिषी प्रदीपमन सूरी से.

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कलावा बांधने का महत्व (Kalava Bandhne ka Mahatv)

धार्मिक त्योहारों, शादी आदि मांगलिक कार्यों को शुरू करने से पहले पंडित जी हाथ की कलाई पर लाल या लाल-पीले रंग का धागा बांधते हैं. इसे ही कलावा कहते हैं. हिंदू धर्म में कलावा को एक सुरक्षा सूत्र माना जाता है, जो हर तरह की बुरी नजर से रक्षा करता है. कलावा सभी नकारात्मक शक्तियों को सोख लेता है और इसे पहनने वाले व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा देता है. अक्सर लोग अपने हाथ की कलावा को लेकर कशमकश में रहते हैं. उन्हें नहीं पता होता कि इसे कब निकालना चाहिए? या फिर निकालने के बाद कलावा का क्या करना चाहिए? तो आइए जानते हैं मशहूर ज्योतिषी प्रदीपमन सूरी से कलावा बांधने और निकालने के सही नियम क्या हैं.

कलावा का रंग हमेशा लाल क्यों होता है? (Kalava ka Rang Humesha Laal Kyun Hota hai?)

कलावा का रंग लाल इसलिए होता है क्योंकि हिंदू धर्म में लाल रंग को शक्ति, उत्साह, सौभाग्य, प्यार और खुशी का प्रतीक माना जाता है. इसलिए शादी, गृह प्रवेश, नवरात्रि, दिपावली, करवाचौथ आदि जैसे विशेष धार्मिक कार्यों के मौके पर लाल धागे का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही ज्योतिष के मुताबिक, कलाई को शरीर में मंगल ग्रह का स्थान माना जाता है. मंगल ग्रह के देवता हनुमान जी हैं और हनुमान जी को लाल रंग बहुत पसंद है. यही कारण है कि कलाई पर लाल रंग का कलावा बांधा जाता है. कई मौकों पर लाल के साथ पीला कलावा भी बांधा जाता है क्योंकि पीला रंग प्रकृति, सूर्य, ज्ञान और उमंग का प्रतीक माना जाता है. व्रत रखने का संकल्प लेने से पहले भी कलावा बांधा जाता है. इस बात का ध्यान रखें कि जिस कलावा का रंग फीका पड़ गया हो या जिस कलावे के धागे निकलने लगे हों, उसे जरूर निकाल देना चाहिए. कलावे में बना हुआ गांठ माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और माता पार्वती का स्थान माना जाता है.

कलावा इस तरह से धारण करें (Kalava Is Tarah se Dharan Karen)

कलावा हमेशा किसी पंडित या बड़े से ही बंधवाएं. कलावा बंधवाते समय अपना एक हाथ सिर पर रखें.
इसके साथ ही जिस हाथ में कलावा बांधा जा रहा है, उसकी मुट्ठी में थोड़े से रुपये भी रखें.
कलावा को हाथ में 3, 5 या 7 बार लपेटा जाना चाहिए.

कलावा कैसे निकालें (Kalava Kaise Nikalein)

कलावा निकालने के लिए अलग-अलग परंपराओं और क्षेत्रों में अलग-अलग तरह के रिवाज अपनाए जाते हैं. शास्त्रों में भी कलावा को पहनने से लेकर निकालने तक के कई नियम बताए गए हैं. लेकिन आम तौर पर जो बातें समान हैं, वो ये हैं कि कलावा का रंग फीका पड़ने से पहले ही उसे निकाल देना चाहिए. कलावा को मंगलवार या शनिवार के दिन निकालना शुभ होता है. आप कलावा निकालने के लिए ये तरीके अपना सकते हैं.

  1. कलावा उतारने के बाद उसे एक पेड़ के नीचे बांधने के साथ कुछ पुष्प रखे जाते हैं. कलावा को पेड़ के नीचे बांधने का मकसद परिवार के सदस्यों के लिए शांति तथा समृद्धि की कामना करना होता है.
  2. कलावा को इधर-उधर फेंकने की बजाए नदी में प्रवाहित करना सही रहता है. नदी को पवित्र माना जाता है.
  3. यदि आसपास नदी नहीं है तो उसे धूप और घी के साथ अग्नि में जला सकते हैं. अग्नि में कलावा जलाने के पीछे मान्यता है कि कलावा उतारने के बाद भी व्यक्ति जो अपने जीवन के कठिनाइयों को पार करने में जिस संबल की आवश्यकता है, वह उसे मिल सके.
  4. यदि आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो कलावा उतारने के साथ धान्य, फल, धन, या वस्त्र आदि का दान करें. ऐसा करने से पुण्य फल में वृद्धि होती है.