किसान सब्जियों की खेती से कम समय में पैसा प्राप्त कर सकते हैं। सब्जियों की खेती के अंतर्गत चुकंदर की खेती काफी लाभकारी हो सकती है। चुकंदर खाना हर किसी को पसंद है। सलाद के रूप में सबसे ज्यादा लोग चुकंदर का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, कई लोग इसका जूस पीना भी पसंद करते हैं। ऐसे चुकंदर में मैंगनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी, फोलेट और विटामिन बी9 प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन करने से शरीर में ब्लड की कमी नहीं होती है। यही वजह है कि इसका मार्केट में हमेशा डिमांड रहती है। ऐसे में किसान भाई अगर चुकंदर की खेती करते हैं, तो अच्छी कमाई कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं कंदर की खेती करने की पूरी प्रोसेस।
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चुकंदर की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
चुकंदर की खेती के लिए समतल एवं उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसके अलावा इसकी खेती दोमट मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन इसकी बुवाई के लिए ठंडा मौसम अनुकूल रहता है। वहीं मिट्टी के पीएच मान की बात करें तो इसकी खेती के लिए भूमि या मिट्टी का पीएच मान 6-7 बीच होना जरूरी है। चुकंदर की फसल के लिए 20 डिग्री का तापमान इसकी फसल के लिए काफी होता है। सकी खेती के लिए ज्यादा बारिश
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खेत की तैयारी और बुवाई
सबसे पहले खेत की गहराई से जुताई करनी चाहिए। इसके बाद में उसमें खरपतवार नियंत्रण कर के खेत में गोबर की खाद डालकर खेत को तैयार कर लें। चुकंदर की अच्छी फसल के लिए खेत तैयार करते समय प्रत्येक एकड़ में कम से कम 4 टन गोबर की खाद मिलाएं। खाद डालने के बाद बीज बोने से पहले थोड़ी-थोड़ी दूरी पर क्यारियां बना लें ताकि बीजारोपण में सुविधा हो। क्यारी बनाकर मेड़ पर चुकंदर की बुवाई करने से फसल काफी अच्छी हो जाती है। चुकंदर के बीजों को 2 सेंटीमीटर की गहराई में बोया जाना चाहिए। इस तरीके से खेती करने पर अच्छी फसल होती है।
खेत की सिंचाई
चुकंदर की फसल को सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती थी। आमतौर पर बुआई के 15 दिनों बाद पहली सिंचाई और बुआई के 20 दिनों बाद दूसरी सिंचाई की जाती है। इसके बाद 20 से 25 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। किसान सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जलजमाव न हो पाए।
फसल की कटाई
खेत में बीज बोने के बाद, करीब 60 दिन में फसल तैयार होने लगती है। इस स्थिति में चुकंदर के बल्ब का परिमाप 2.5 सेमी. के करीब होता है। चुकंदर की पहली खेप निकालने के बाद चरणबद्ध सुनियोजित तरीके से 8 सेमी. के परिमाप होने तक फसल निकाले जा सकते हैं। ऐसी स्थिति को आदर्श स्थिति माना गया है और ऐसे में चुकंदर को खेतों से निकाल संरक्षित कर देना उचित रहता है। लम्बे समय तक खेतों में छोड़ने पर फल कड़े और बेस्वाद हो जाते हैं।